आध्यात्म
शनि ने छोड़ा कुंभ राशि का साथ, इन राशियों की कुंडली में शुरू हो जाएगा राजयोग
हमारी ज़िंदगी मे ग्रहों की चाल का प्रभाव पड़ता है। ग्रह समय समय पर राशि बदलते हैं जिसका स्पष्ट प्रभाव दैनिक दिनचर्या पर देखने को मिलता है। यह बात वैज्ञानिक तौर पर भी सही है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार आज रात से कुछ ग्रहों में राशियों का बदलाव होगा जिसका असर मुख्यतः तीन राशियों पर पड़ेगा। बता दें कि शनि अपनी राशि मे बदलाव करने जा रहा है जिसकी वजह से इन तीन राशि वालों को अप्रत्याशित रूप से लाभ होगा। जी, तीन राशियों पर शनि की कृपा बरसेगी और ढेर सारा लाभ होगा।
मेष राशि – मेष राशि के लोगों के ऊपर शनिदेव की कृपा बरसने वाली हैं। बहुत जल्द ही नौकरी मिलने की संभावना बन रही है। मेष राशि के लोग अपने में जीवन में कामयाब होने के लिए बहुत संघर्ष करते हैं। आपको अपने परिवार और मित्रों का पूरा सहयोग मिलेगा। बहुत समय से चल रही धन की समस्या समाप्त होने वाली हैं।
मिथुन राशि – मिथुन राशि के लोगों का मन धार्मिक कामो में लगेगा। ये लोग दार्शनिक विचारों से प्रभावित होंगे। आपकी धन से जुड़ी सभी समस्यां दूर होने वाली हैं जिससे आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होने वाला हैं। जिसकी वजह से आपको हर तरफ सफलता मिलने वाली है। आपको अपने बिजनेस में लाभ मिलने वाला हैं।
वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि के जातकों का आने वाला समय शुभ साबित होने वाला हैं। आप अपनी खुशी के लिए किसी दूसरे का दिल ना दुखाएं। किसी भी काम को जल्दबाजी में ना करे। कम परिश्रम में आपको ज्यादा धन की प्राप्ति होगी। जिसकी वजह से आप हर मुश्किलों का सामना डट कर करते हैं। शनिदेव की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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