आध्यात्म
गजलक्ष्मी राजयोग के निर्माण से इन तीन राशियों को होगा बेहद लाभ, यहां जानें डिटेल
नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह गोचर या ग्रहों की चाल बदलने से विभिन्न प्रकार के योग एवं राजयोग का निर्माण होता है। इसी क्रम में 08 अगस्त को शुक्र ग्रह के कर्क राशि में वक्री होने से गजलक्ष्मी राजयोग का निर्माण हुआ है।
गजलक्ष्मी राजयोग से जातक को धन, सफलता, प्रसिद्धि, भाग्य का साथ व देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दौरान तीन राशियां ऐसी हैं, जिन्हें गजलक्ष्मी राजयोग से सर्वाधिक लाभ प्राप्त होगा और उनके जीवन में सुख, शांति व समृद्धि का आगमन होगा।
आइए जानते हैं, किन-किन राशियों को मिलेगा गजलक्ष्मी राजयोग से लाभ?
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों को गजलक्ष्मी राजयोग से बहुत लाभ प्राप्त हो सकता है। इस दौरान उनके आर्थिक स्थिति में वृद्धि होगी। साथ ही वह कमाया हुआ धन बचा सकते हैं। इसके साथ जो लोग मार्केटिंग, शिक्षा, मीडिया या संचार क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, उन्हें इस दौरान लाभ प्राप्त हो सकता है।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए गजलक्ष्मी राजयोग लाभदायक साबित होगा। इस अवधि में जातकों को निवेश किए गए धन से लाभ प्राप्त होगा। साथ ही रुका हुआ धन भी वापस मिल सकता है।
इसके साथ आय के नए स्रोत बनेंगे और कार्यक्षेत्र में उन्नति प्राप्त हो सकती है। इससे पारिवारिक वातावरण भी सुखद रहेगा। इसके साथ जो लोग शेयर मार्केट से जुड़े हुए हैं, उनके लिए भी यह समय अच्छा रहने वाला है।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए गजलक्ष्मी राजयोग फलदाई माना जा रहा है। इस दौरान व्यापार क्षेत्र में वृद्धि के योग बनेंगे और जो लोग अपने व्यापार को बढ़ाने की योजना पर कार्य कर रहे हैं, उन्हें भी सफलता प्राप्त होगी। इसके साथ कार्य क्षेत्र में सहकारियों के साथ संबंध और अच्छे होंगे। पदोन्नति के भी योग बन रहे हैं, जिससे भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि होगी।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की हमारी गारंटी नहीं है। अपनाने से पूर्व सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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