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आध्यात्म

101 साल बाद इन राशियों पर बरसेगी कुबेर की कृपा, जानिए इस अद्भुत संयोग की खास बातें

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आज के दौर में हर शख्स किसी न किसी समस्या से परेशान है। हर कोई चाहता है कि कहीं कोई जादू हो और अचानक ज़िन्दगी और किस्मत पूरी तरह बदल जाये। लोग चाहते है कि उन्हें ढेर सारा धन मिल जाये। एक तरह से लोग रातों रात अमीर हो जाने के सपने देखते हैं। खैर, आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं वो काफी मायनों में महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह आपकी किस्मत पूरी तरह बदल देगा।

दरअसल, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक ऐसा संयोग बन रहा है जिससे आप काफी सम्पन्न हो जाएंगे। जी ग्रहों की चाल से 101 साल बाद एक ऐसा सहयोग उत्पन्न हो रहा है जो काफी लाभकारी है। जी, ग्रहों के संयोग से कुछ विशेष राशियों पर कुबेर की कृपा बरसने वाली है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 100 साल बाद इन राशि के लोगों को अचानक धन लाभ मिलने के योग बन रहे हैं। इन राशि के जातको को अपने कार्य में महत्तम सफलता मिलने वाली है। आप जितने भी कार्य करने जा रहे हैं। उन सभी कार्यों में सफलता मिलने के योग बन रहे हैं।

आपका प्रेमी आपको बेहद खुशियां प्रदान करेगा! अचानक धन लाभ की प्राप्ति के योग बन रहे हैं। इन राशि के लोगों को अत्यधिक आर्थिक लाभ की प्राप्ति होगी। लेकिन इसके साथ धन खर्च भी अधिक होगा! साथ में काम करने वाले लोगों के साथ खुशहाली का माहौल बना रहेगा जिन राशियों यह योग बन रहा है वो राशियां वृषभ, कर्क, मकर, सिंह, वृश्चिक, कुंभ राशि है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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