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आध्यात्म

वैलेंटाइन डे पर बदल जाएगी आपकी किस्मत, बन रहा ऐसा संयोग कि मिल जाएगी आपको…

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वैलेंटाइन डे के दिन इन राशियों की सोई किस्मत जाग उठेगी। इसके साथ ही उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होगी। इन राशियों को उनका प्यार मिलेगा। आइए जानते हैं इन 5 राशियों के बारे में –

मिथुन राशि – इन राशियों के जातकों की आमदनी के मार्ग खुल सकते हैं। कार्य क्षेत्र में आपके कार्य की सराहना हो सकती है।

कन्या राशि – इन राशियों के जातकों को नौकरी में लाभ मिल सकता है। व्यवसाय में नई-नई योजनाओं का लाभ मिल सकता है। पारिवारिक जीवन अच्छा रहेगा।

तुला राशि – इन राशियों के जातकों के कारोबार में उन्नति के योग बनने की संभावनाएं हैं। धार्मिक कार्यों में आप हिस्सा ले सकते हैं।

धनु राशि – इन राशियों के जातकों को सामाजिक और पारिवारिक कार्य करने से समाज में मान सम्मान मिल सकता है। आपकी लव लाइफ पहले से बेहतर रहेगी।

मकर राशि – इन राशियों के जातकों को अचानक से धन लाभ मिलने का भी योग बन रहा है। जीवनसाथी की तरफ से आपको सुख मिल सकता है। आपको कोई खुशी के समाचार सुनने को मिल सकते हैं।

आध्यात्म

होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।

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