आध्यात्म
बुधवार को बन रहा है राजयोग, इन 6 राशियों की पलट जाएगी किस्मत
बुधवार को कुछ राशियों की किस्मत में राजयोग बने जा रहा है। इस राजयोग के चलते कुछ राशियों की किस्मत में बदलने वाली है। आइए जानते है, उन राशियों के बारे में –
मेष राशि – इन राशियों के जातकों को व्यापार में कई बड़े अवसरों की प्राप्ति होगी। रुके हुए काम समय से पूरे होने के योग बन रहे हैं।
कन्या राशि – इन राशियों के जातकों को पार्टनर से मदद मिल सकती है। प्रोफेशनल लाइफ सामान्य रहेगी। सफलता देने वाली कोई खबर भी मिल सकती है।
कर्क राशि – इन राशियों के जातकों को धार्मिक समारोह में हिस्सा ले सकते हैं। किसी यात्रा पर जाने से आपको लाभ होगा। अगर आपके निवेश करना चाहते हैं तो यह समय शुभ है।
तुला राशि – इन राशियों के जातकों की पुराने दोस्तों से मुलाकात हो सकती है। व्यापार में दुगुने की जगह चौगुनी तरक्की मिलेगी। विद्यार्थी वर्ग को नई नई सफलता मिलने वाली है।
कुंभ राशि – इन राशियों के जातकों को कोई बड़ी कामयाबी मिल सकती है। सभी परेशानियां दूर होने वाली हैं। लाइफ पार्टनर पर शक करना आपके लिए सही साबित नहीं होगा।
मीन राशि – इन राशियों के जातकों को परीक्षाओं में सफलता मिलेगी। साथ ही घर समाज मे अधिक इज्जत होगी। नए वाहन आभूषण और मकान खरीदने का मन भी बना सकते है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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