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कोयला घोटाला : सीबीआई ने मनमोहन से की पूछताछ

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नई दिल्ली। कोयला घोटाला मामले में जांच की आंच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक पहुंच चुकी है। मनमोहन से हिंडाल्को कंपनी को कोयला खदान आवंटित किए जाने के बारे में सवाल पूछे गए। दो दिन पहले हुई ये पूछताछ मनमोहन सिंह से उनके घर की गई। हालांकि, न तो सीबीआई और न ही पूर्व पीएम ने इस पूछताछ की पुष्टि की है।

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई अधिकारियों की एक टीम ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के आवास पर उनसे पूछताछ की। सीबीआई ने 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के पालन के तहत ऐसा किया। वह इस मामले में 27 जनवरी को विशेष अदालत में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने वाली है। सूत्रों ने बताया कि पूरी पूछताछ तलाबिरा-2 कोयला खदान को हिंडाल्को कंपनी को देने के बारे में हुई। इस कोयला खदान के आवंटन के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था। इस बारे में जब सीबीआई की प्रवक्ता कंचन प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने न तो पूछताछ की पुष्टि की और न ही इससे इन्कार किया। हालांकि, पूर्व पीएम के एक करीबी ने पूछताछ किए जाने से इनकार किया है।

सूत्रों के मुताबिक तलाबिरा-2 कोयला खदान को हिंडाल्को को आवंटित किए जाने के संदर्भ में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला ने सात मई, 2005 और 17 जून, 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह को पत्र लिखा था। सीबीआई ने ये पत्र प्राप्त होने के बाद कोयला मंत्रालय के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई गतिविधियों के बारे में पूछताछ की। पिछले दिनों कोयला घोटाला मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश भरत परासर ने इस बारे में जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। उसने कहा कि इस मामले में यह उपयुक्त होगा कि तत्कालीन कोयला मंत्री (मनमोहन सिंह) से पहले पूछताछ की जाए। इसके बाद सीबीआई के लिए पूर्व पीएम से पूछताछ करना आसान हो गया था।

क्या है कोल घोटाला

17 अगस्त 2012 को कैग ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की थी। रिपोर्ट के अनुसार आवंटन के तरीके में पारदर्शिता नहीं बरती गई। नियमों में फेरबदल किए गए। मूल्यांकन प्रणाली में भी खामियां पाई गईं। कोयला संपन्न राज्यों के मंत्रियों एवं मुख्यमंत्रियों ने निजी कंपनियों के लिए लॉबिंग की। इससे निजी कंपनियों को लाभ हुआ और सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मामले की जांच सीबीआई कर रही है। 2004-09 के बीच ब्लॉकों का जब आवंटन किया गया था तब संबंधित मंत्रालय का जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही संभाल रहे थे। 23 अप्रैल, 2013 को संसदीय समिति ने भी संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में वर्ष 1993 से 2008 तक हुए कोल ब्लॉकों के सभी आवंटनों को गैरकानूनी करार दिया था।

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दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी

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नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।

स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।

नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”

 

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