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अगर बीजेपी सत्ता में आई तो गरीबों, आदिवासियों और दलितों से उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे : राहुल गांधी

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भिंड। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के भिंड में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी और पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि अगर बीजेपी केंद्र की सत्ता में लौटती है तो वह गरीबों, दलितों, आदिवासियों और ओबीसी को अधिकार देने वाले संविधान को फाड़ कर फेंक देगी। उन्होंने संविधान की एक प्रति हाथ में लेते हुए कहा कि मौजूदा लोकसभा चुनाव कोई सामान्य चुनाव नहीं है, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच की लड़ाई है। उन्होंने संविधान की प्रति को दिखाते हुए कहा कि ये देश के गरीब लोगों की आत्मा है, इसको दुनिया की कोई शक्ति छूने वाली नहीं है। ये बीजेपी वाले सपने देख रहे हैं।

राहुल ने कहा कि अगर बीजेपी आरक्षण के खिलाफ नहीं है तो पब्लिक सेक्टर का प्राइवेटाइजेशन क्यों किया जा रहा है? अग्निवीर योजना क्यों लाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि पीएम, अमित शाह और उनके एमपी ने मन बना लिया है कि अगर वो चुनाव जीतेंगे, तो इस किताब को फाड़ कर फेंक देंगे, उन्होंने कहा कि लड़ाई यही है। राहुल ने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति प्रतिष्ठा समारोह के दौरान केवल अमीर लोग और मशहूर हस्तियां मौजूद थीं, गरीब मजदूर या किसान नहीं। कांग्रेस नेता कहा कि उनकी पार्टी और I.N.D.I.A के घटक दल संविधान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी और संविधान का मसौदा तैयार होने से पहले गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और किसानों के पास कोई अधिकार नहीं था और 1950 में कानून लागू होने पर उन्हें ये अधिकार दिए गए।

राहुल गांधी ने आगाह किया कि अगर बीजेपी फिर से सत्ता में आती है तो गरीबों, आदिवासियों और दलितों को प्राप्त अधिकार लागू नहीं रहेंगे और मनरेगा, भूमि अधिकार, आरक्षण, पेंशन व अन्य कल्याणकारी उपाय जैसी योजनाएं भी खत्म हो जाएंगी। वायनाड से सांसद गांधी ने दावा किया, “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उनके सांसदों ने मन बना लिया है कि अगर वे चुने गए, तो वे संविधान को फाड़ कर फेंक देंगे। बीजेपी चाहती है कि संविधान को फेंक दिया जाए और केवल 20-25 अरबपतियों को देश चलाना चाहिए।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि संविधान ने दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और अन्य जातियों के गरीब लोगों को आवाज दी। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने पहले ही खुले तौर पर घोषणा कर दी है कि यदि उनकी पार्टी चुनाव जीतती है, तो वे संविधान को बदल देंगे।
उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के मुद्दे पर भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा। राहुल ने आरोप लगाया, ” वे (भाजपा) कहते हैं कि वे आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। यदि आप आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, तो आप सार्वजनिक क्षेत्र, रेलवे का निजीकरण क्यों कर रहे हैं। आप अग्निवीर योजना क्यों लाए? ये सभी काम आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ हैं।” कांग्रेस नेता ने दावा किया कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने 22 से 25 लोगों के 16 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ कर दिए हैं। यह राशि किसानों के 25 वर्षों तक लोन माफ करने और 24 वर्षों तक मनरेगा के तहत लाभ दिए जाने के लिए पर्याप्त थी।

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नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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