आध्यात्म
08 नवंबर राशिफल : जानिए किस राशि की बढ़ेगी परेशानी
धनु: आज का दिन आपको थोड़ा सावधानी और सतर्कता के साथ काम करना होगा। ग्रह योग बता रहे हैं कि आज आपको किसी प्रकार का नुकसान हो सकता है। बिजनस के मामले में थोड़ा सा जोखिम उठाएं तो लाभ होने की आशा है। लेकिन फिर भी कोई फैसला लेने से पहले आपको सोचने की जरूरत है। किसी अपने के लिए कुछ पैसों का इंतजाम करना पड़ सकता है।
मकर: आज का दिन आपके लिए अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक लाभ वाला हो सकता है। साझे में किया गया व्यापार फायदा पहुंचाएगा। रोजमर्रा के घरेलू कामों को आज आप काफी हद तक पूरा कर पाएंगे। हो सकता है आज आपको बच्चों के संबंध में कोई बड़ा फैसला लेना पड़े। ईमानदारी से काम करें और निर्धारित नियमों का ध्यान रखे। कुछ काम एक साथ हाथ में आने से परेशानी बढ़ सकती है।
कुंभ: आज के दिन आपको काफी सावधान रहने की जरूरत है। मौसम की मार आपको परेशान कर सकती है। आपकी राशि के लोगों को सर्दी जुकाम की समस्या बहुत जल्दी परेशाप कर देती है। खानपान में लापरवाही न बरतें। व्यापार के मामले में दिन सुखद व्यतीत होगा। जल्दी में कोई भूल हो सकती है, इसलिए हर काम सोचसमझकर करें।
मीन: आज का दिन लाभदायी है। व्यापार में जोखिम उठाने का परिणाम आज लाभदायी होगा। परेशानियों को धैर्य और अपने मृदु व्यवहार से सुधार करके ठीक किया जा सकता है। आज आप अपनी बुद्धि का प्रयोग करके कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। किसी संकटग्रस्त व्यक्ति की सहायता कर सकें तो शुभ रहेगा।
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आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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