Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

5 फरवरी को मनाया जाएगा बसंत पंचमी का पर्व, राशि अनुसार करें ये काम, मिलेगी सफलता

Published

on

Loading

इस साल बसंत पंचमी का पर्व 05 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन वाणी, ज्ञान, कला एवं संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है। इस दिन स्कूलों में खासकर सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। जिन लोगों को शिक्षा, कला या संगीत के क्षेत्र में सफलता नहीं मिल रही है, उन लोगों को बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा करनी चाहिए। मां शारदा को प्रसन्न करके वे सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जिन पर मां सरस्वती का आशीर्वाद होता है, उनको यश एवं कीर्ति प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कि इस वसंत पंचमी पर मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए राशि अनुसार क्या काम करना चाहिए।

Basant Panchami 2022 know the story of devi saraswati facts and full  details in hindi | Basant Panchami 2022: बसन्त पंचमी से पहले जानिए देवी  सरस्वती की ये कथा, इसलिए होती है

वंसत पंचमी 2022 राशि अनुसार उपाय

मेष: वसंत पंचमी के अवसर पर मेष राशि के जातकों को शिक्षा में सफलता के लिए सरस्वती कवच पाठ करना चाहिए। आप पर मां शारदा की कृपा होगी।

वृष: आप य​​दि अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो सरस्वती पूजा के दिन मां शारदा को सफेद चंदन एवं सफेद पुष्प चढ़ाएं। आपको कल्याण होगा।

मिथुन: मां सरस्वती ज्ञान की देवी हैं। वसंत पंचमी के दिन इस राशि के जातकों को उनकी विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान मां सरस्वती के चरणों में हरे रंग की कलम चढ़ाएं। फिर उसका प्रयोग करें। सफलता प्राप्त होगी।

कर्क: कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। इस राशि के जातकों को चंद्रमा से जुड़ा खाद्य पदार्थ खीर का भोग मां सरस्वती को लगाना चाहिए। कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी।

सिंह: इस राशि के जातकों का स्वामी ग्रह सूर्य है। आप लोगों को सरस्वती पूजा के दिन मां शारदा की विधिवत पूजा करनी चाहिए और गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। शिक्षा में सफलता प्राप्त होगी।

कन्या: वसंत पंचमी के दिन कन्या राशि के जातकों को सरस्वती पूजा के बाद पुस्तकें, कलम, पेंसिल आदि का दान करना चाहिए। मां शारदा आपका कल्याण करेंगी।

तुला: इस राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के बाद सफेद वस्त्र का दान करें। सफेद वस्त्र मां सरस्वती धारण करती हैं और शुक्र को भी सफेद वस्त्र प्रिय है। आपकी समस्याओं का समाधान होगा।

वृश्चिक: सरस्वती पूजा के दिन इस राशि के जातकों को मां शारदा के चरणों में कलम चढ़ाना चाहिए, जो लाल रंग का हो। मां सरस्वती की कृपा से आपको कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।

धनु: इस राशि का स्वामी ग्रह देव गुरु बृहस्पति हैं। वसंत पंचमी के दिन आपको मां सरस्वती को बेसन के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। मां सरस्वती आपकी मनोकामनाएं पूरी करेंगी।

मकर: मकर राशि वालों को वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा करने के बाद चावल का दान किसी जरूरतमंद को करना चाहिए। मां शारदा की कृपा से शिक्षा में सफलता प्राप्त होगी।

कुंभ: इस राशि के जातकों को सरस्वती पूजा के दिन मां शारदा को प्रणाम करके विद्या से जुड़ी वस्तुओं का दान करना चाहिए। ​आप पर मां सरस्वती की कृपा होगी।

मीन: मीन राशि के स्वामी ग्रह भी देव गुरु बृहस्पति हैं। आप सरस्वती पूजा के दिन पीले रंग की मिठाई का भोग लगा सकते हैं या पीले वस्त्र का दान कर सकते हैं।

 

 

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending