आध्यात्म
ASTROLOGY : 04 नवंबर 2020 को इन राशियों पर पड़ेगा सबसे अधिक प्रभाव
वृषभ: वृष राशि के जातक भ्रमित रहेंगे। निर्णय करना मुश्किल होगा। व्यापार व्यवसाय की दृष्टि से लाभदायक दिन है। विदेश से संपर्क मुनाफा दिलाने वाले सिद्ध होंगे। उच्च अधिकारियों के साथ विवाद हो सकता है। आवेश में अनर्गल बातें बोलने से बचें। सामाजिक स्तर बढ़ाने के लिए दिखावे पर धन खर्च करेंगे।
करवाचौथ स्पेशल: व्रत के दौरान जल्दबाजी में भूलकर भी न करें ये तीन गलतियां
मिथुन: मिथुन राशि के जातकों के गुप्त शत्रु कामकाज में रुकावट डालने का प्रयत्न करेंगे परंतु आप अपने बुद्धि बल से मुश्किलों का हल खोजने में कामयाब रहेंगे। कार्यस्थल पर चोरी की आशंका बनती है अतः सतर्क रहें। आर्थिक रूप से दिन आपके लिए शुभ है।
कर्क: कर्क राशि के जातक जोखिम लेकर अपने कार्य को सिद्ध करने का प्रयास करेंगे, जिसमें वह सफल भी रहेंगे। लक्ष्य प्राप्ति में संघर्ष रहेगा। कामकाज से संबंधित यात्रा का योग भी बन जाता है। वित्तीय मामलों में दिन बहुत अच्छा है उम्मीद से ज्यादा धन प्राप्ति होगी। उपहार मिलने से मन प्रसन्न रहेगा।
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आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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