आध्यात्म
करवाचौथ स्पेशल: व्रत के दौरान जल्दबाजी में भूलकर भी न करें ये तीन गलतियां
कहते है करवाचौथ का व्रत पत्नी अपने पति के प्रति प्यार, स्नेह, आत्मसमर्पण और दीर्घायु के लिए रखती है एक पत्निव्रता स्त्री इस दिन सुबह से लेकर शाम तक निर्जल इस उपवास को रखती है और रात्रि के समय चन्द्रमां के समाने अपने पति को जल पिलाकर उसकी लम्बी आयु की कामना करने के पश्चात ही अपना व्रत पति के हाथों खोलती है।
ये दिन शादीशुदा स्त्रियों के लिए अत्याधिक शुभ माना जाता है लेकिन कभी-कभी कुछ जोड़े करवाचौथ की सही विधि को समझ नहीं पाते और कई ऐसी गलतियां अनजाने में कर बैठते है जो उनके वैवाहिक जीवन में कलह होने की वजह बन जाती है।
तो आइये बताते है आपको की आपको कौन सी वो गलतियां है, जो भूल से भी पूजा के दौरान नहीं करनी है
- केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, ऐसी महिलाएं ही ये व्रत रख सकती हैं.
- यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाएगा, निर्जल या केवल जल पर ही व्रत रखें.
- व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र न पहने.
- लाल वस्त्र सबसे अच्छा है, पीला भी पहना जा सकता है.
- आज के दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए.
- अगर कोई महिला अस्वस्थ है तो उसके स्थान पर उसके पति यह व्रत कर सकते हैं.
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आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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