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बीफ पर बैन : परदे के पीछे छुपा सच

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beef ban controversy

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गौमांस पर प्रतिबंध का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने कहा है कि वे खुद बीफ खाते हैं और उन्हें खाने से कौन रोक सकता है? यह सीधे-सीधे एक तरह से केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के उस बयान का जवाब है, जिसमें उन्होंने गौमांस खाने वाले को पाकिस्तान जाने की सलाह दी थी।

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि ये कोई लाभ-हानि नहीं, बल्कि ये आस्था और विश्वास का मामला है। यह भारत के हिन्दू समुदाय की भावनाओं से जुडा है। नकवी का यह भी दावा है कि देश के मुस्लिम भी गाय का मांस खाने का विरोध करते हैं। उनके इस बयान पर पूरे देश में बीफ पर बैन को लेकर बहस छिड़ गई है। हालांकि रिजिजू के इसके विरोध में अपने तर्क हैं। वह कहते हैं कि मैं अरुणाचल प्रदेश से हूं और पूर्वोत्तर के राज्यों में बहुसंख्यक लोग बीफ खाते हैं। ऐसे में उन पर निर्णय थोपना गलत होगा। हां हिन्दू बहुसंख्यक राज्यों में गोमांस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र हिन्दू बहुसंख्यक प्रदेश है, गुजरात और मध्य प्रदेश भी। ऐसे में अगर वे कानून बनाते हैं जो हिंदू समाज के लिए हितकारी हो तो उन्हें ऐसा करना दिया जाए। इसके विपरीत हमारी जगह जहां हम बहुसंख्यक हैं, हमारी मान्यताओं के लिए हितकारी कानून ही बनने चाहिए। अगर कोई इस तरह के बयान देता है जो हमारी मान्यताओं पर थोपा हुआ सा लगे, तो ये सही नहीं है।

अगर गौहत्या पर पाबंदी को पूरे भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो सब राज्यों में अलग-अलग नियम लागू हैं। भारत के 29 में से 10 राज्य ऐसे हैं जहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस को काटने पर रोक नहीं है। जबकि 18 राज्यों में गौहत्या पर पूरी या आंशिक रोक है। यह रोक 11 राज्यों – भारत प्रशासित कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महराष्ट्र, छत्तीसगढ़, और दो केन्द्र प्रशासित राज्यों दिल्ली, चंडीगढ़ में लागू है। गौहत्या कानून के उल्लंघन पर सबसे कड़ी सजा भी इन्हीं राज्यों में तय की गई है। हरियाणा में एक लाख जुर्माना और 10 साल की जेल की सज़ा का प्रावधान है। महाराष्ट्र में गौहत्या पर 10,000 रुपए का जुर्माना और पांच साल की जेल की सजा है। छत्तीसगढ़ में भैंस काटने पर भी रोक है।

10 राज्यों केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और एक केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप में गौ-हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस का मांस खुले तौर पर बाजार में बिकता है। आठ राज्यों और लक्षद्वीप में तो गौ-हत्या पर कोई कानून ही नहीं है। असम और पश्चिम बंगाल में जो कानून है उसके तहत उन्हीं पशुओं को काटा जा सकता है जिन्हें ‘फिट फॉर स्लॉटर सर्टिफ़िकेट’ मिला हो। ये उन्हीं पशुओं को दिया जा सकता है जिनकी उम्र 14 साल से ज़्यादा हो या जो प्रजनन या काम करने के काबिल न रहे हों।

यह सब-कुछ इसके बावजूद है, जब ‘बीफ’ के नाम पर भैंस के मांस का कारोबार ही होता रहा है। हालांकि बैल और बछड़े का मांस कुछ राज्यों में बिकता रहा है, जिस पर भी अब प्रतिबंध लगा दिया गया है। बैन का विरोध करने वाले कहते हैं कि ‘बीफ’ के नाम पर हो रहा व्यवसाय दरअसल गाय का नहीं भैंस के मांस का है। ‘बीफ’ को कई देशों में अलग-अलग रूप में परिभाषित किया गया है। अमेरिका में गोमांस को ही बीफ की श्रेणी में रखा गया है जबकि भारत में भैंस के मांस को भी इसी श्रेणी में रखा गया है। हालांकि पिछले एक-दो साल से इसका निर्यात ‘बफैलो मीट’ कह कर ही किया जाता है। जबकि आम जनमानस में ऐसा प्रचारित किया जाता है कि बीफ के नाम पर गाय का वध किया जा रहा है।

बीफ पर बैन का एक आर्थिक पहलू भी है। पूरे देश में करीब 28 हज़ार करोड़ रुपए के इस व्यवसाय में मुनाफे का एक बड़ा हिस्सेदार गैर-मुसलमान व्यापारी वर्ग भी है। भारत में कुल 3600 बूचड़खाने सिर्फ नगरपालिकाओं द्वारा चलाये जा रहे हैं। इनके अलावा 42 बूचड़खाने ‘आल इंडिया मीट एंड लाइवस्टॉक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन’ के द्वारा संचालित किए जाते हैं जहां से सिर्फ निर्यात किया जाता है। 32 बूचड़खाने सरकार के एक विभाग के अधीन हैं। महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश तीन ऐसे प्रमुख राज्य हैं जहां से सबसे ज़्यादा भैंस के मांस का निर्यात होता है। अकेले उत्तर प्रदेश में 317 रजिस्टर्ड स्लॉटर हाउस हैं।

भारत से बीफ चीन और मध्य पूर्व के देशों को निर्यात होता है। इन देशों में ब्राज़ील का बीफ प्रतिबंधित था लेकिन 2014 में ऑस्ट्रेलिया में जी 20 सम्मेलन के दौरान उसने चीन और सउदी अरब से मांस व्यापार को दोबारा शुरू करने पर समझौता किया। अब भारत में बीफ पर पाबंदी का फायदा ब्राजील को होगा और ब्राज़ील में बीफ उत्पादन में 3% की बढ़ोतरी होने की संभावना है। एक अनुमान के अनुसार, बीफ के निर्यात से ब्राज़ील को होने वाली आमदनी 2015 में आठ अरब डॉलर तक पहुंच सकती है और निर्यात 17 लाख टन पहुंच सकता है।

इन हालात में खुद ही फैसला लिया जा सकता है कि बीफ पर प्रतिबंध कितना सही है या गलत। अगर किसी को कुछ खाने से रोका नहीं जा सकता तो यह उस पर थोपा भी नहीं जा सकता कि वह क्या खाएगा और क्या नहीं। ‘बीफ’, बकरे, मुर्गे और मछली से सस्ता होता है। इसी वजह से ये गरीब तबकों में रोज के भोजन का हिस्सा है, खास तौर पर कई मुस्लिम, ईसाई, दलित और आदिवासी जनजातियों के बीच। अगर देश में इस पर रोक लगानी भी है तो पहले आम जनमानस को भोजन के अन्य सस्ते विकल्प उपलब्ध कराने होंगे। सिर्फ धार्मिक भावनाएं भड़का कर प्रतिबंध की बात करना बिल्कुल भी उचित नहीं है।

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सपा नेता रामगोपाल यादव ने राम मंदिर को बताया बेकार, कहा- उसका नक्शा ठीक नहीं

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मैनपुरी। समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव के राम मंदिर पर विवादित बयान दिया है जिसपर बवाल मच गया है। रामगोपाल यादव ने कहा कि ‘वो मंदिर तो बेकार का है, मंदिर ऐसे बनाए जाते हैं? मंदिर ऐसे नहीं बनते हैं। पुराने मंदिर देख लीजिए दक्षिण से से लेकर उत्तर तक देख लीजिए। नक्शा ठीक नहीं बना है उसका। वास्तु के लिहाज से ठीक नहीं बनाया गया है।

वहीं उनके बयान पर बीजेपी ने जोरदार पलटवार किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “इंडी अलायंस का असली सनातन विरोधी चेहरा एक बार फिर से उजागर हो गया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर बेकार है। ये ठीक से बना नहीं है। इसका नक्शा ही खराब है. ये यूजलेस है। देख लीजिए, इसका वास्तु ही खराब है। पहले इन लोगों ने राम भक्तों का विरोध किया. फिर राम भक्ति को पाखंड बताया. फिर राम जी के अस्तित्व पर सवाल उठाया और अब राम मंदिर पर ही हमला कर रहे हैं। केवल समाजवादी पार्टी ही नहीं, बल्कि इससे पहले कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को इवेंट बताते हुए कैसे उसका बहिष्कार किया।

राम मंदिर को लटकाना, अटकाना, भटकाना ये कांग्रेस पार्टी ने लगातार किया है। वहीं, आरजेडी ने कहा कि राम मंदिर गुलामी की निशानी है. रामचरित मानस पर इन लोगों ने हमला किया और अब ये लोग किस तरह से राम मंदिर पर अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं. करोड़ों राम भक्तों ने किस तरह से सैकड़ों वर्षों तक इंतजार किया, तब जाकर राम मंदिर बना, लेकिन आज वो कह रहे हैं कि राम मंदिर बेकार है।

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा , “क्या किसी और धर्म स्थल के बारे में वो ऐसा बोलेंगे। कतई नहीं बोला जा सकता और ना ही बोला जाना चाहिए, लेकिन केवल हिंदुओं को गाली देना इनका काम है ताकि वोट बैंक की थाली सजी रहे। कभी राहुल गांधी कहते हैं कि मैं शक्ति का विरोध कर रहा हूं। उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि सनातन एक बीमारी है. खरगे जी ने कहा कि राम बनाम शिव करना है। ये आए दिन हिंदू धर्म के बारे में विवादास्पद टिप्पणी करते रहते हैं और अब कहा जा जा रहा है कि राम मंदिर ही बेकार है, उसका ढांचा ही ठीक नहीं है।

 

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