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देश में पहली बार ट्रांसजेंडर मानबी बनीं कॉलेज प्रिंसिपल
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने एक किन्नर शिक्षाविद् को राज्य में एक महाविद्यालय का प्रधानाचार्य नियुक्त किया है। सरकार की इस पहल को किन्नरों को सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम माना जा रहा है। यह देश में अपनी तरह का पहला मामला है।
मानबी बंदोपाध्याय नाम की किन्नर शिक्षाविद् को कृष्णानगर महिला महाविद्यालय की प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया है। वह नौ जून को कार्यभार संभालेंगी। वह राज्य के विवेकानंद सतोवार्षिकी महाविद्यालय में सह-प्राध्यापक हैं। कल्याणी विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हंगलू ने बुधवार को बताया कि वह एक सक्षम प्रशासक और एक अच्छी इंसान हैं। इससे पूरे भारत का यह समुदाय सशक्त होगा। मुझे खुशी है कि बंगाल सरकार ने यह कदम उठाया।
जिस महाविद्यालय में मानबी को प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया है, वह कल्याणी विश्वविद्यालय से ही संबद्ध है। इस वर्ष प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय और जादवपुर विश्वविद्यालय ने तीसरे लिंग को शामिल किए जाने के लिए अपने प्रवेश आवेदन-पत्रों में अलग मानडंद बनाए हैं। पिछले माह ही राष्ट्रीय स्तर पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार विधेयक, 2014 को राज्यसभा से पारित किया गया।
45 साल में पहली बार राज्यसभा में सर्वसम्मति से एक निजी विधेयक पारित किया गया है। इस विधेयक में किन्नर समुदाय के लिए एक राष्ट्रीय आयोग और राज्य स्तरीय आयोग बनाने की परिकल्पना की गई है।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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