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बिजनेस

जियो को पछाड़ने उतरी एक कंपनी, महज 17 रुपये में देगी प्रतिमाह डेटा

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रिलायंस जियो, मोबाइल, मोबाइल सर्विज प्रोवाइडर, एयरटेल

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रिलायंस जियो ने 1 अप्रैल 2017 के बाद से सेवाओं के लिए यूजर्स से पैसे लेना क्‍या शुरू किया तब से ही मोबाइल सर्विज प्रोवाइडर कंपनियां नए-नए प्लान के साथ जियो को टक्‍कर देने बाजार में उतर आई हैं। रिलायंस जियो को होम ब्रॉडबैंड के क्षेत्र में एयरटेल, टक्कर दे रहा है।

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मोबाइल इंटरनेट के बाजार में रिलायंस जियो ने डेटा को लेकर जो जंग छेड़ दी है, उसे आगे बढ़ाते हुए एक और कंपनी यूजर्स को महज 17 रू. प्रतिमाह की दर पर डेटा देने की तैयारी में है। कनाडा की मोबाइल हैंडसेट मेकर कंपनी डेटाविंड 200 रू. में सालभर के लिए इंटरनेट डेटा प्लान देने की योजना बना रही है। इसका मतलब है कि कंपनी मात्र 17 रू. में एक महीने के लिए इंटरनेट देगी।

कंपनी ने अपने दूरसंचार सेवा कारोबार में 100 करोड़ रू. के निवेश की योजना बनाई है,  जिसे वह लाइसेंस मिलने के बाद पहले के 6 महीने में निवेश करेगी। कंपनी डेटाविंड ने देश में नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर बनने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। यह कंपनी सस्ते स्मार्ट फोन और टेबलेट के लिए पहचानी जाती है।

कंपनी के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनीत सिंह तुली ने कहा, ‘एक महीने के भीतर हमें लाइसेंस मिलने की उम्मीद हैं। डेटाविंड शुरुआत में पहले छह महीने में 100 करोड़ रूपए निवेश करेगी। कंपनी का ज्यादा ध्यान डेटा सर्विस पर रहेगा।’ हालांकि यह कंपनी अपनी सेवा भारत में किसी मौजूदा टेलीकॉम कंपनी के साथ पार्टनरशिप के साथ ही दे सकेगी।

तुली ने कहा कि ‘जियो का 300 रुपये का प्लान केवल उनके लिए बेहतर है, जो हर माह 1000-1500 रुपये मोबाइल को चार्ज करने के लिए खर्च करते हैं। ऐसे यूजर की संख्या केवल 30 करोड़ है। बाकी जनता हर माह मोबाइल पर 90 रुपये ही खर्च करती है और यह एक तरह से उनके लिए सस्ता
नहीं है।

बिजनेस

Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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