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हालात-ए-यूपी : पुलिस ढूंढे मुर्गियां, अपराधी बेखौफ

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यूपी में कानून व्यवस्था को लेकर अक्सर निशाने पर रहने वाली समाजवादी सरकार के लिए एक बार फिर कड़ी परीक्षा की घड़ी है। अपराधी बेखौफ ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस मुर्गियां ढूंढने में व्यस्त है। राजधानी लखनऊ का ही नजारा सारे हालात बयां कर रहा है। 11 दिन में बदमाशों ने दो महिलाओं और दो प्रॉपर्टी डीलरों सहित 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हालात इस कदर खराब हैं कि पुलिस एक वारदात की पड़ताल में जुटती है तब तक दूसरा दुस्साहसिक कांड हो जाता है। इन हालात के बावजूद प्रदेश सरकार पुलिस महकमे को लेकर लगातार हीलाहवाली बरत रही है।

अभी हाल ही में लखनऊ के इतिहास में दशकों बाद पहली बार 44 दिन तक किसी एसएसपी की तैनाती नहीं करने का अनूठा रिकॉर्ड बनाया गया। काफी जद्दोजहद के बाद राजेश कुमार पांडेय को लखनऊ के एसएसपी पद पर नियुक्त किया गया। अन्य जिलों की बात करें तो बदायूं और गोरखपुर में लड़कियों से दिल दहला देने वाली जघन्य वारदातें सामने आईं हैं। इन हालात में भी ‘बेचारी’ पुलिस के पास इन वारदातों का खुलासा करने के अलावा लाखों काम हैं। पुलिस को ‘बेचारा’ कहने की वजह यह है कि कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने रामपुर में चोरी हुई 12 मुर्गियों को 5 दिन में ढूंढ कर लाने का फरमान पुलिस को सुनाया तो अगले दो दिनों में उन्होंने खुद ही सूबे की कानून व्यवस्था पर तंज कस डाला। उन्होंने कहा कि बड़े अपराधों को रोकने के बजाय पुलिस भैंस व मुर्गी चोर तलाशने में व्यस्त है। ऐसे में पुलिस आदेशों का पालन कर अपनी नौकरी बचाए या फिर जघन्य वारादतों का खुलासा कर अमन-चैन कायम करे, इस पर वह कोई निर्णय कर ही नहीं पा रही है।

पुलिस की सारी ऊर्जा तो थाने से फरियादियों को टरकाने और राजनीतिक दलों के सामने अपने नम्बर बढ़वाने में बर्बाद हो रही है। अगर ऐसा न हो रहा होता तो इलाहाबाद में पुलिस की मॉक ड्रिल में दंगाइयों के हाथ में केसरिया झंडा थमाने का मामला कभी सामने नहीं आता। फिलहाल इस मामले में काफी होहल्ला मचने के बाद यह जांच जारी है कि ये केवल एक संयोग था या दंगाइयों को किसी खास वर्ग से जोड़ने की कोशिश की गई। कुछ दिनों पहले कानपुर में भी पुलिस की मुस्तैदी की पोल पूरी तरह बेनकाब हो गई। यहां पर पुलिसकर्मियों को मजबूत बनाने के लिए पुलिस लाइन में रिहर्सल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रोग्राम में पुलिसकर्मी न तो ठीक से बंदूक पकड़ पाए और न ही निशाना लगाने में कामयाब रहे।

यूपी पुलिस की छवि भी उनके मुखिया की नजर में बेहद दागी है। ये पूर्व डीजीपी एके जैन के बयान से साफ हो जाता है। अपने एक आदेश में उन्होंने कहा कि बैंकों की सुरक्षा में लगने वाले पुलिसकर्मियों की पूरी तरह जांच कर ली जाए। जिससे शराबी, जुआरी और अपराधी किस्म के पुलिसकर्मी बैंक की सुरक्षा में न लग सकें। साफ है कि डीजीपी साहब को अपनी पुलिस पर ऐतबार नहीं। ऐसे में जनता कैसे पुलिस पर भरोसा कर ले? हालात बद से बदतर हो जाएं, इससे पहले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जरूर कुछ न कुछ सोचना पड़ेगा। वैसे भी यूपी पुलिस का इलाज केवल दवा की ‘कड़वी गोलियों’ से होने वाला नहीं बल्कि उसे बड़ी ‘सर्जरी’ की जरूरत है।

नेशनल

भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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