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यूपी इलेक्शन: बीएसपी को ‘क्रिमिनल’ और बीजेपी को ‘रईस’ पसंद हैं

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के महासमर में दागियों, आपराधिक छवि वालों और करोड़पति नेताओं के प्रति राजनैतिक दलों का प्रेम कम नहीं हो रहा है। पहले बीते पांच चरणों की तरह ही छठे चरण में भी 635 उम्मीदवारों में से 20 फीसदी यानी 126 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं 25 फीसदी करोड़पति चुनाव मैदान में उतरे हैं। अपराधियों को टिकट देने के मामले में इस चरण में बसपा सबसे आगे हैं जबकि करोड़पतियों को टिकट देने के मामले में भाजपा अव्वल है।

यह आंकड़े बुधवार को उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक र्फिोम्स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए दिए हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण में पूर्वाचल के सात जिलों की 49 सीटों पर चार मार्च को चुनाव होने है। रिपोर्ट के मुताबिक, छठे चरण में सभी राजनीतिक दलों से 635 उम्म्मीदवार चुनावी मैदान में है। सभी 635 प्रत्याशियों के नामांकन के समय दाखिल शपथ पत्रों के आकलन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

अपराधियों को टिकट देने के मामले में इस चरण में बसपा के 24 यानि 49 फीसदी के साथ सबसे आगे हैं जबकि भाजपा के 18 यानी 40 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर है। छठे चरण में 15 यानि 38 फीसदी दागी सपा के टिकट से तो तीन यानि 30 फीसदी कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं। रालोद के पांच यानि 14 फीसदी प्रत्याशी आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं।

छठे चरण में 17 फीसदी प्रत्याशियों पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिला हिंसा जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। वहीं सबसे ज्यादा 73 फीसदी करोड़पति प्रत्याशी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने 71 फीसदी तो सपा ने 70 फीसदी करोड़पतियों को मैदान में उतारा है।

छठे चरण के उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 1.58 करोड़ रुपये है। इस चरण में भी महज नौ फीसदी महिला प्रत्याशी मैदान में हैं। छठे चरण में सात जिलों आजमगढ़, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज और मऊ की 49 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है।

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, गंभीर अपराधियों को टिकट देने के मामले में बसपा 41 फीसदी के साथ सबसे आगे है। वहीं करोड़पतियों को टिकट देने के मामले में भाजपा अव्वल रही है। वहीं बसपा व सपा भी उससे ज्यादा पीछे नही हैं। छठे चरण के प्रत्याशियों में टॉप तीन अमीर बसपा के टिकट पर ही लड़ रहे हैं।

नामांकन के समय दिए गए शपथपत्र के मुताबिक, छठे चरण के सभी प्रत्याशियों में सबसे अमीर आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर से बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली 118 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ हैं। जबकि चिल्लूपार से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विनयशंकर तिवारी के पास कुल 67 करोड़ की संपत्ति है।

तीसरे सबसे अमीर प्रत्याशी नौतनवां, महराजगंज के बसपा प्रत्याशी एजाज अहमद हैं जिनकी कुल संपत्ति 52 करोड़ रुपये है। वहीं मऊ के बसपा प्रत्याशी मुख्तार अंसारी पर सबसे ज्यादा छह करोड़ का तो मुबारकपुर के बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली पर दो करोड़ का कर्ज है।

जहां तक शैक्षिक योग्यता का सवाल है तो छठे चरण में मैदान में उतरे 53 फीसदी प्रत्याशी स्नातक या इससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त है। इसके अलावा छठे चरण का चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों में 67 फीसदी की आयु 25 से 50 साल के बीच है। इस चरण में दागी निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या भी बढ़ गई है। इस चरण में 49 फीसदी निर्वाचन क्षेत्र दागी हैं। दागी या संवेदनशील ऐसे निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां तीन या तीन से ज्यादा प्रत्याशी दागी हैं।

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गोयल इंस्टीट्यूट के छात्रों ने स्ट्रिंग पोर्ट्रेट थ्रेड आर्ट कला विधि से बनाया पीएम मोदी का पोर्ट्रेट

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लखनऊ। गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाईयर स्टडीज महाविद्यालय लखनऊ के ललित कला विभाग के छात्रों ने 30 फीट के आकार में स्ट्रिंग पोर्ट्रेट थ्रेड आर्ट की कला से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पोर्ट्रेट बनाया।

यह दृश्य कला की नई विधा में धागे से बना पोर्ट्रेट अपने आप में खास है। इसे बनाने में कुल 30 घंटे का समय लगा। जिसमें धागे का वजन लगभग 15 किलो तथा उस धागे की कुल लंबाई लगभग 45 किलोमीटर है। छात्रों ने बताया कि चित्र के आकार में इस प्रकार की कला में यह अब तक का सबसे बड़ा आर्टवर्क है जो इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ द रिकॉर्ड, इंटरनेशनल बुक ऑफ द रिकॉर्ड तथा गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए प्रस्तावित है।

आठ छात्रों की टीम (ब्रेकअप टीम) का नेतृत्व बाराबंकी स्थित अमोली कला, रामनगर निवासी देवाशीष मिश्रा द्वारा किया गया। टीम के अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों में अभिषेक महाराणा, आदर्श शांडिल्य, लारैब कमाल खान, अभय यादव, सानिध्य गुप्ता, आरुषि अग्रवाल व कृतिका जैन का नाम शामिल है। इसका संचालन डॉक्टर संतोष पांडेय, प्राचार्य गोयल इंस्टीट्यूट आफ हायर स्टडीज महाविद्यालय ने किया। निरीक्षण श्रीमती शिखा पांडेय वह राकेश प्रभाकर द्वारा किया गया। इसमें ललित कला विभाग के प्राध्यापकों व समस्त छात्रों के सहयोग रहा।

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