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आध्यात्म

आज है धनतेरस, जानें राशि के अनुसार किस वस्तु की करें खरीदारी

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Dhanteras

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नई दिल्ली। कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी में धनतेरस (Dhanteras) मनाया जाएगा। विभिन्न पंचांगों के अनुसार 22 अक्टूबर शनिवार को 4 बजकर 33 मिनट पर त्रयोदशी लग जाएगी। इसके साथ ही धनतेरस की खरीदारी का शुभ मुहूर्त भी प्रारंभ हो जाएगा। 23 अक्टूबर रविवार को नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली) व हनुमान जयंती मनाई जाएगी। 24 अक्टूबर सोमवार को दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा।

धनतेरस के दिन इन चीजों की होती है खरीदारी

धनतेरस के दिन चांदी, तांबा, कांसा आदि के बर्तन, यंत्र, वस्त्र, विद्युत उपकरण, वाहन की खरीदारी, भूमि, भवन तथा  व्यापार आरंभ, अचल संपत्ति में निवेश करना अत्यंत शुभ रहेगा।

इसके अलावा सजावट की सामग्री, पठन-पाठन का सामान, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, धनिया, हल्दी गांठ, गोमती चक्र, कमलगट्टा, वस्त्र आदि भी खरीदना चाहिए। धनतेरस के दिन दरिद्रता का नाश व सुख-समृद्धि के वास हेतु घर और प्रतिष्ठान में नई झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है।

राशि के अनुसार करें खरीदारी

मेष राशि :– तांबा, स्वर्ण धातु के पात्र, आमला, खील, मिट्टी के 25 दिए आदि खरीदे ।

वृष राशि :– चांदी पात्र, स्टील वर्तन, आमला, सिंघाडा खरीदे।

मिथुन राशि:- चांदी पात्र, मिट्टी के दिए, इस बार गणेश लक्ष्मी मिट्टी के एक ही मे ले।

कर्क राशि :- चांदी पात्र, ग्लास के वर्तन, 25 दिए, कौड़ी, गोमती चक्र खरीदे।

सिंह राशि:- स्वर्ण पात्र, आमला, गोमती चक्र, नारियल खरीदे।

कन्या राशि :- पीतल पात्र, आमला, मिट्टी के 25 दिए खील खरीदे।

तुला राशि:- चांदी पात्र, पानी रखने के पात्र, 25 दिए, आमला खरीदे।

वृश्चिक राशि:- स्वर्ण पात्र, गुड़ खील, फल, दिए खरीदे ।

धनु राशि :- पीतल या फूल के वर्तन, वस्त्र, आमला, 25 दिए खरीदे।

मकर राशि:- चांदी पात्र, स्टील वर्तन, 25 दिए, मिष्ठान खरीदे।

कुंभ राशि :- मिट्टी का घडा, दिए खील, चांदी की वस्तु खरीदे।

मीन राशि :- पीतल धातु, स्वर्ण धातु, टिफिन बॉक्स, खील खरीदे।

सभी राशि वाले को खील, आमला और गन्ने का टुकड़ा अवश्य लाना चाहिए। मेष, वृषभ मिथुन सिंह तुला कुम्भ और मीन राशि वालो को सिंघाडा और सूप भी घर मे लाना चाहिए ।

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आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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