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आध्यात्म

धनतेरस पर भूलकर भी न खरीदें ये चीजें, मिल सकता है अशुभ फल

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Dhanteras

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नई दिल्ली। दीपों के पर्व दीपावली से पहले धनतेरस (Dhanteras ) पर खरीदारी करना शुभ मना जाता। लोग इस दिन कई वस्तुएं खरीदते हैं। कोई ज्वैलरी खरीदता है तो कोई इलेक्ट्रानिक सामान। मान्यता है इस शुभ दिन में खरीदी गई चीजें लंबे समय तक उपयोगी रहती हैं और शुभ फल भी प्रदान करती हैं।

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Dhanteras से जुड़ी और भी कई मान्यताएं हैं लेकिन इस दिन खरीदी करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। Dhanteras पर कुछ चीजें खरीदने से बचना चाहिए, मान्यता है कि ये चीजें घर में अशुभ प्रभाव पैदा करती हैं।

लोहे के बर्तन या अन्य कोई सामान

धनतेरस पर लोहे के बर्तन या अन्य कोई सामान भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है। लोहे को शनि की धातु माना गया है। मान्यता है कि धनतेरस पर लोहे से बनी चीजें खरीदना से इसका अशुभ फल प्राप्त होता है। इसलिए भूलकर भी धनतेरस पर लोहे की कोई भी वस्तु न खरीदें।

स्टील-एल्युमिनियम

स्टील और एल्युमिनियम शुद्ध धातु नहीं माना जाता। जानकारी के अभाव में लोग इसे धनतेरस पर खरीद लेते हैं लेकिन ऐसा करना उचित नहीं है। एल्युमिनियम पर राहु का प्रभाव रहता है जो जीवन में कई मुश्किलें पैदा कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार मात्र पीतल, सोना या चांदी धातु ही खरीदना शुभ माना गया है।

नकली या आर्टिफिशियल आभूषण

मात्र औपचारिकता या फिर पैसों की कमी के चलते के लिए कई लोग धनतेरस पर आर्टिफिशियल आभूषण खरीद लेते हैं लेकिन ऐसा करना अशुभ माना जाता है। इससे दरिद्रता का वास होता है।

कांच या चीनी-मिट्टी के बर्तन या अन्य सामान

धनतेरस पर कांच के बर्तन से इससे जुड़ी कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए। कांच में राहू का वास होता है। वहीं चीनी-मिट्टी के गमले या बर्तन भी इस दिन लेना अशुभ होता है। धनतरेस के शुभ अवसर पर इन चीजों को घर लाना व्यक्ति को संकट में डाल सकता है।

धारदार चीजें खरीदने से बचें

धनतेरस पर धारदार चीजें जैसे चाकू या कैंची न खरीदें। ये चीजें भी निगेटिविटी पैदा करती हैं और अशुभ ग्रहों से संबंधित है। धनतेरस पर ये चीजें घर में लाने से कुछ न कुछ अशुभ होने के योग बन सकते हैं।

कांच का सामान भी न ही खरीदें

धनतेरस एक शुभ दिन है जो देवी लक्ष्मी और कुबेर से संबंधित है। इसलिए इस दिन कांच से बनी चीजें खरीदने से बचना चाहिए। कांच को ज्योतिष शास्त्र में राहु से संबंधित माना गया है जो एक अशुभ ग्रह है। धनतेरस पर राहु से संबंधित चीजें घर में लाना आपकी परेशानियां बढ़ा सकता है।

डिस्क्लेमर:  उपरोक्त जानकारी  सिर्फ मान्यताओं पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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