आध्यात्म
इस बार एक साथ मनाई जाएगी छोटी और बड़ी दीपावली, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। दीपोत्सव का पर्व दीपावली पूरे पांच दिनों तक चलता है। इस साल दीपावली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस बार विशेष संयोग है कि नरक चतुर्दशी यानी छोटी और बड़ी दीपावली एक साथ मनाई जाएगी। दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है, उसके बाद छोटी दीपावली और फिर अगले दिन बड़ी दीपावली मनाई जाती है। इस बार तीनों ही त्योहारों की तारीखों को लेकर संशय है।
तिथि के अनुसार सभी पर्व
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 02 मिनट से हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 23 अक्टूबर शाम 6 बजकर 03 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 23 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा।
इसके बाद 23 अक्टूबर को ही शाम 6 बजकर 04 मिनट से ही चतुर्दशी तिथि की शुरुआत हो जा रही है, जिसका अगले दिन 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर 24 अक्टूबर को छोटी दीपावली यानी नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।
फिर 24 अक्टूबर को ही शाम 05 बजकर 28 मिनट से अमावस्या तिथि लग जा रही है, जो 25 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। लेकिन 25 अक्टूबर को शाम में यानी प्रदोष काल लगने से पहले ही अमावस्या समाप्त हो जा रही है। ऐसे में दिवाली का पर्व इस दिन नहीं मनाया जाएगा, बल्कि 24 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
नरक चतुर्दशी 2022 का शुभ अभ्यंग स्नान मुहूर्त- 24 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 08 मिनट से सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक अवधि – 01 घंटा 23 मिनट
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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