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आध्यात्म

धनतेरस पर बना खरीदारी का शुभफलदायी त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें डिटेल  

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नई दिल्ली। धनतेरस (Dhanteras) के साथ पांच दिनों का दिवाली का पर्व शुरू होता है। इस साल धनतेरस का पर्व 2 दिन मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर 23 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 3 मिनट तक है।

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इसलिए 22 अक्टूबर की शाम यम दीपक जलाने और धनवंतरी जी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त बन रहा है। साथ ही 23 अक्टूबर को त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। ऐसे में खरीदारी करना कई गुना अधिक फल देने वाला माना जाता है।

त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग

इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। पंचाग के अनुसार अनुसार त्रिपुष्कर योग में शुभ कार्य करने पर उसमें तीन गुने की सफलता हासिल होती है जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग को शुभ माना गया है क्योंकि इसमें सभी सिद्धियों का वास होता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग पर राहुकाल का भी असर नहीं होता और खरीदारी करना शुभ फल देने वाला होता है।सर्वार्थ सिद्धि योग 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ होगा और दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। वहीं त्रिपुष्कर योग दोपहर 01 बजकर 50 मिनट से शाम 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। 23 अक्टूबर को दिनभर खरीदारी की जा सकती है।

जानिए 23 अक्टूबर को कब से कब तक कर सकते हैं किन-किन चीजों की खरीदारी-

23 अक्टूबर को धनतेरस की खरीदारी का शुभ मुहूर्त

त्रिपुष्कर योग- दोपहर 1 बजकर 50 मिनट से शाम 6 बजकर 2 मिनट तक

प्रॉपर्टी खरीदने का शुभ मुहूर्त

सुबह 8 से लेकर 9 बजे तक

दोपहर में 12 बजकर 30 मिनट से शाम 4 बजकर 20 मिनट तक

शाम 5 बजे से लेकर 6 बजे तक

वाहन की बुकिंग और खरीदारी का शुभ मुहूर्त

दोपहर 12 बजकर 1 बजकर 30 मिनट तक।

इसके बाद 2 बजे से 2 बजकर 50 मिनट तक।

साथ ही 3 बजकर 4 बजकर 30 मिनट तक।

सोना-चांदी और बर्तन खरीदने का शुभ मुहूर्त

सुबह- 8 से 9 बजे तक

दोपहर- 12 बजे से लेकर शाम 4 बजकर 20 मिनट तक

शाम- 5 बजकर 50 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट तक

इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने का शुभ मुहूर्त

सुबह- 8 से 9 बजे तक

दोपहर- दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक

रात- 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक

फर्नीचर सहित अन्य चीजें खरीदने का शुभ मुहूर्त

दोपहर- 12 बजे से 2 बजे तक

दोपहर- 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक

शाम- 5 बजे से लेकर 7 बजकर 20 मिनट तक

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी सटीकता की गारंटी नहीं है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। उपयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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