आध्यात्म
महाभारत के युद्ध में इतने करोड़ सैनिकों की हुई थी मृत्यु, जानकर रह जाएंगे हैरान
नई दिल्ली। आपने बचपन में महाभारत सीरियल टीवी पर जरूर देखा होगा। इस सीरियल में सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं को दिखाया गया है। महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं। महाभारत का हर पात्र जीवंत है, चाहे वह कौरव, पांडव, कर्ण और कृष्ण हो या धृष्टद्युम्न, शल्य, शिखंडी और कृपाचार्य हो। दरअसल महाभारत की कहानी युद्ध के बाद समाप्त नहीं होती है।
क्या आपको पता है महाभारत के युद्ध में जो योद्धा मारे गए उनके शरीर के साथ क्या हुआ। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि महाभारत युद्ध में कुल 1 अरब, 66 करोड़, 20 हजार योद्धा मारे गए। ये बात खुद युधिष्ठिर ने धृतराष्ट्र को बताई थी। जिसके बाद धृतराष्ट्र के कहने पर युधिष्ठिर ने सभी का अंतिम संस्कार करवाया।
दरअसल युद्द जीतने के बाद सभी पांडव श्रीकृष्ण के साथ धृतराष्ट्र और गांधारी से मिलने पहुंचे। यहां धृतराष्ट्र ने भीम को मारने की कोशिश की लेकिन श्री कृष्ण ने धृतराष्ट्र के सामने एक पुतला रखकर अपनी समझ-बूझ से उनकी जान बचा ली।
इसके बाद महर्षि वेदव्यास के कहने पर युधिष्ठिर सभी को साथ लेकर कुरुक्षेत्र गए। यहां पहुंचकर धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से युद्ध में मारे गए योद्धाओं की संख्या पूछी तो उन्होंने बताया कि इस युद्ध में 1 अरब, 66 करोड़, 20 हजार योद्धा मारे गए हैं।
युद्ध में मारे गए योद्धाओं के बारे में जानकर धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर को उन सभी का अंतिम संस्कार करने के लिए कहा। युधिष्ठिर ने कौरवों के पुरोहित सुधर्मा और अपने पुरोहित धौम्य को तथा संजय, विदुर, युयुत्यु आदि लोगों को युद्ध में मारे गए सभी योद्धाओं का शास्त्रोत अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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