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आध्यात्म

पांडवों ने अपने पिता के शव के साथ किया था ऐसा काम, जानकर कांप जाएगी आपकी रूह!

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नई दिल्ली। महाभारत एक ऐसा  ग्रन्थ है, जिसके बारे में बहुत सी रोचक और अनसुनी बातें जानने के लिए हम हमेशा उत्साहित रहते हैं।

ऐसे ही अनेक रहस्यों में से एक के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। पांडवो की ये बात जानकर शायद आप भी हैरान रह जाएंगे।

पांडवों ने अपने पिता की मृत्यु के बाद उनकी लाश का मांस खाया था, कहा जाता है कि युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के पिता पांडु को किसी ऋषि ने श्राप दिया था कि अगर वो किसी भी स्त्री से शारीरिक संबंध बनाएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

इसी वजह से उन्होंने कभी भी अपनी पत्नी कुंती  और दूसरी पत्नी माद्री से शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे,लेकिन कुंती को ऋषि दुर्वासा ने वरदान दिया था कि वो किसी भी देवता का आह्वान करके उनसे संतान प्राप्ति का वरदान मांग सकती हैं।

महाराज पांडु के कहने पर कुंती ने एक-एक कर कई देवताओं का आह्वान किया,इसी प्रकार माद्री ने भी देवताओं का आह्वान किया।

तब कुंती को तीन पुत्र युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन मिले और माद्री को दो पुत्र नकुल और सहदेव मिले। माना जाता है कि एक दिन  पांडु खुद पर नियंत्रण न रख सके और उन्होंने माद्री से शारीरिक संबंध बना लिए। ऐसे में ऋषि के शाप के अनुसार महाराज पांडु की मृत्यु हो गई।

जब पांडु की मृत्यु हुई तो उनके मृत शरीर का मांस पाँचों भाइयों ने मिल-बांट कर खाया था। उन्होंने ऐसा अपने पिता पांडु की ही इच्छा के अनुसार किया था, क्योंकि पांचों पांडव उनके वीर्य से पैदा नहीं हुए थे, इसलिए पांडु का ज्ञान और कौशल उनके बच्चों में नहीं आ पाया था।

इसलिए उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले ऐसा वरदान मांगा था कि उनके बच्चे उनकी मृत्यु के पश्चात उसके शरीर का मांस मिल-बांट कर खा लें, ताकि उनका ज्ञान उनके बच्चों में चला जाए।

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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