Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

मुश्किल में मोदी सरकार, बेरोजगारी पर आई सबसे बड़ी रिपोर्ट

Published

on

Loading

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस राफेल के साथ बेरोजगारी का मुद्दा भी जोरशोर से उठा रही है। राहुल गांधी अपने हर रैली में बेरोजगारी पर जमकर मोदी सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं। इस बीच बेरोजगारी पर एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जिससे मोदी सरकार को झटका लग सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 से 2018 के बीच 50 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं। साल 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब नोटबंदी की गई और 1000-500 के नोट बंद कर दिए गए उसके बाद से ये रिपोर्ट तैयार की गई है। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी (बेंगलुरू) की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 से 2018 के बीच 50 लाख लोगों ने नौकरी गंवाई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 की तीसरी तिमाही यानी सितंबर 2016 से दिसंबर 2016 के बीच शहरी और ग्रामीण लोगों की लेबर पार्टिशिपेशन फोर्स में भागीदारी अचानक कम होने लगी. इसका मतलब है कि सितंबर 2016 नौकरियों में कमी आने लगी। वहीं 2017 की दूसरी तिमाही में इसकी दर में थोड़ी कम आई, लेकिन बाद में नौकरियों की संख्या लगातार कम होती गई, जिसमें कोई सुधार नहीं हुआ।

तीन सालों की बात करें तो जनवरी 2016 से दिसंबर 2018 के बीच  शहरी पुरुष एलएफपीआर की दर 5.8 फीसदी जबकि उसी आयु समूह में डब्ल्यूपीआर की दर 2.8 तक गिर गई है। साथ ही नोटबंदी से भविष्य में भी नौकरी का संकट होने की बात कही गई है और अभी रिपोर्ट का दावा है कि अब तक नोटबंदी के बाद बने हालात सुधरे नहीं है. वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि 20-24 आयु वर्ग में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है और नोटबंदी से पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा प्रभावित हुई हैं।

नेशनल

कैंसर से जूझ रहे सीपीआई नेता अतुल कुमार अंजान का निधन, लखनऊ के अस्पताल में ली अंतिम सांस

Published

on

Loading

लखनऊ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का शुक्रवार को निधन हो गया। वो लखनऊ के मेयो अस्पताल में भर्ती थे जहां उनका काफी समय से कैंसर का इलाज चल रहा था। उनकी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी। शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

बता दें कि अतुल अंजान ने अपना राजनीतिक सफर 1977 में शुरू किया था। वह सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। वह सबसे प्रतिभाशील और सक्रिय कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे।

वह टीवी डिबेट में और कई दूसरे राजनीतिक कार्यक्रमों में लगातार पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे। अपनी राजनीति का लोहा इन्होंने कॉलेज के दिनों से ही मनवा लिया था। छात्र राजनीति में इनके कद का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अतुल कुमार अंजान 20 साल की उम्र में नेशनल कॉलेज स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बन गए थे। अतुल कुमार लगातार चार बार लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. यूनिवर्सिटी के समय से ही वह लेफ्ट की विचारधारा पर चलते थे।

Continue Reading

Trending