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जानिए क्यों आसिफ खान बन गया आशु महाराज, पूछताछ में किया सनसनीखेज खुलासा!

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आशु महाराज

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नई दिल्ली। रेप के आरोप में पुलिस के हत्थे चढ़ा आसिफ मोहम्मद खान उर्फ आशु महाराज ने पूछताछ के दौरान कई राज खोले हैं। इसी कड़ी में उसने यह राज भी खोला कि आखिर वह हिंदू धर्मगुरु क्यों बना? आसिफ ने बताया कि मुस्लिम धर्म गुरु बनने पर उसे ज्यादा फायदा नहीं होता, उसे ज्यादा कमाई नहीं होती इसलिए वह हिंदू धर्मगुरु बन गया और अपना नाम आशु महाराज रख लिया। उसने बताया कि ऐसा करते ही उसका धंधा चल निकला और उसे मोटी आमदनी होने लगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक क्राइम ब्रांच को मिले आधार, पासपोर्ट और वोटर कार्ड जैसे तमाम कागजात में आशु का नाम आसिफ खान ही पाया गया है। पुलिस पूछताछ में आसिफ ने बताया, ‘असल में मुस्लिम समुदाय धर्म के नाम पर इतना पैसा खर्च नहीं करता, जितना कि हिंदू समुदाय करता है। बस इसके लिए लोगों को जरा-सा डराने की जरूरत होती है।’ इसके अलावा उसने कहा, ‘अगर सलाह से किसी एक को भी थोड़ा आराम मिलना शुरू हो गया तो बस लोगों की जेबों से पैसे अपने आप ढीले होने लगते हैं। लोगों की इसी कमजोरी का फायदा हमें उठाना होता है।’

आपको बता दें कि आसिफ उर्फ आशु महाराज कई सालों से लोगों की आखों में धूल झोंक रहा था। वह हाथ देखने के लिए लोगों से 25 हजार रुपए की मोटी रकम लिया करता था। इतना ही नहीं अपने क्लाइंटो से वह मुलाकात के लिए फाइव स्टार होटल जाया करता था।

नेशनल

कैंसर से जूझ रहे सीपीआई नेता अतुल कुमार अंजान का निधन, लखनऊ के अस्पताल में ली अंतिम सांस

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लखनऊ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का शुक्रवार को निधन हो गया। वो लखनऊ के मेयो अस्पताल में भर्ती थे जहां उनका काफी समय से कैंसर का इलाज चल रहा था। उनकी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी। शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

बता दें कि अतुल अंजान ने अपना राजनीतिक सफर 1977 में शुरू किया था। वह सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। वह सबसे प्रतिभाशील और सक्रिय कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे।

वह टीवी डिबेट में और कई दूसरे राजनीतिक कार्यक्रमों में लगातार पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे। अपनी राजनीति का लोहा इन्होंने कॉलेज के दिनों से ही मनवा लिया था। छात्र राजनीति में इनके कद का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अतुल कुमार अंजान 20 साल की उम्र में नेशनल कॉलेज स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बन गए थे। अतुल कुमार लगातार चार बार लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. यूनिवर्सिटी के समय से ही वह लेफ्ट की विचारधारा पर चलते थे।

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