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आध्यात्म

Surya Grahan 2019: सूर्य ग्रहण इन राशियों के लोगों को बना देगा भिखारी, वहीं इनकी लगेगी लॉटरी

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साल 2019 सबसे पहला ग्रहण 6 जनवरी को लगेगा। ऐसे में आपको बताते हैं ग्रहण के दौरान किन राशि के लोगों को पैसों की तंगी झेलनी पड़ सकती है तो किन राशि वालों पर जमकर बरसेगा पैसा।

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मेष – मेष राशि के लोग ग्रहण की वजह से पैसों की फिजूलखर्ची कर सकते हैं। इन लोगों को चोट लगने या किसी दुर्घटना के प्रति सावधान रहना चाहिए। ऐसे लोगों को झगड़ा करने से भी बचना चाहिए।
वृषभ – इस राशि के लोगों के इस साल सारे रुके हुए काम बनने वाले हैं। इन लोगों का इस साल धन लाभ और यात्रा का योग बनेगा।
मिथुन – मिथुन राशि के लोगों को नौकरी और व्यापार में तरक्की मिलेगी। इन लोगों का मान-सम्मान बढ़ेगा। ग्रहण की वजह से धन प्राप्ति का योग भी बन रहा है।

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कर्क – इस राशि के लोगों को धनहानि और फिजूलखर्ची से बचना होगा। जहां तक बात सेहत की करें तो इस राशि के लोगों की इस साल सेहत अच्छी रहने वाली है।
कन्या – ग्रहण के बाद 15 दिन तक कहीं पैसा ना लगाएं। शत्रु और मुकदमें से छुटकारा मिलेगा।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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