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आध्यात्म

साल के आखरी सूर्यग्रहण की हुई शुरुआत, इन राशियों पर पड़ेगा शुभ प्रभाव

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साल का आखिरी सूर्यग्रहण आज यानी 4 दिसंबर को लग चुका है। ये पूर्ण सूर्य ग्रहण है जो ऑस्ट्रेलिया, बोत्सवाना, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण जॉर्जिया, नामीबिया, मेडागास्कर और तस्मानिया में दिखाई देगा। लेकिन यह भारत मे नही दिखेगा, ना ही सूतक लगेगा लेकिन प्रभाव सभी राशियों पर रहेगा।

Surya Grahan 2021 The last solar eclipse of the year on December 4 know  date place time duration | Surya Grahan 2021: 4 दिसंबर को साल का आखिरी सूर्य  ग्रहण, जानें कहां

भारतीय समयानुसार ग्रहण प्रातः 10।59 पर शुरू हुआ है और मोक्ष 15।07 तक रहेगा। ग्रहण की अवधि 04 घण्टे 04 मिनट तक  रहेगा।

ग्रहण के शुभ प्रभाव –

मिथुन,कन्या,मकर, कुम्भ राशियों पर ग्रहण का शुभ प्रभाव रहेगा, carrior में तरक्की और आमदनी बढ़ेगी। नई नौकरी के अवसर मिलेंगे।

ग्रहण के अशुभ प्रभाव –

मेष,  वृष ,वृश्चिक, धनु, पर अधिक अशुभ प्रभाव रहेगा। स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

मिला जुला असर

कर्क, सिंह, तुला, मीन राशियों पर।

ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के उपाय–

-मन ही मन ईश्वर की अराधना करनी चाहिए।

-सूर्य देव के बीज मंत्र का जप करना चाहिए।

-सूर्य ग्रहण के लगने से ठीक पहले खाने-पीने की वस्तुएं जैसे पके हुए भोजन, दूध, दही, घी, मक्खन, अचार, पानी, आदि में कुश या तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिए।

-ग्रहण के तुरंत बाद नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। उसके बाद पूजन करें।

-ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण की समाप्ति के बाद जरूरतमंदों को कुछ न कुछ दान करें।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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