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आध्यात्म

साल 2019 का पहला सूर्यग्रहण होगा 6 जनवरी को, इन राशि पर पड़ेगा खास असर

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इस साल आपको सूर्यग्रहण इस महीने के पहले ही हफ्ते में ही देखने को मिलेगा। रविवार 6 जनवरी को आंशिक सूर्य ग्रहण होने वाला है। हालांकि यह सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। बता दें कि ये ग्रहण उत्तर-पूर्वी चीन, जापान और पूर्वी रूस तथा प्रशान्त महासागर में दिखाई देगा। सूर्यग्रहण का असर विशेष तौर पर इन राशियों पर होगा, आइए जानते हैं इन राशियों के बारे में –

मेष राशि – मेष राशि के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण है। मार्गी हर्शल आपके पहले स्थान पर गोचर करेगा। इस गोचर से अपके जीवन में अचानक से आपकी तरक्की हो सकती है। भले ही बीच-बीच में कुछ छोटी-मोटी परेशानियां आएं, लेकिन आपको अपने कार्यों में सफलता जरूर मिलेगी। साथ ही स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। मानसिक रूप से मजबूती मिलेगी।

वृष राशि – इस राशि के लिए भी यह काफी हद तक सही रहेगा। मार्गी हर्शल आपके बारहवें स्थान पर गोचर करेगा। गोचर से आप अपनी जीवनशैली को सुधारने के लिए अपने ऊपर कुछ खर्चा कर सकते हैं। इस दौरान आपको कुछ यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। आपका गृहस्थ जीवन और स्वास्थ्य ठीक रहेगा। शरीर के साथ ही मानसिक रूप से भी आप अच्छा महसूस करेंगे।

आध्यात्म

होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।

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