आध्यात्म
धूम-धाम ने निकली बाबा केदारनाथ की उत्सव डोली, पांच कुंतल फूलों से सजा जाएगा केदारनाथ धाम
चारधाम यात्रा अब अपने मुख्य केंद्र की तरफ पहुंच रही है। इसके साथ ही उत्तराखंड में छह महीने के प्रवास के बाद केदारनाथ बाबा की उत्सव डोली केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गई। यह डोली 28 अप्रैल को केदारनाथ धाम पहुंचेगी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसका हिस्सा बनने जा रहा हैं।
चारधाम यात्रा की शुरूआत 18 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हुई थी। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अनुसार कपाट खुलने की सारी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। कपाट खुलने वाले दिन केदारनाथ धाम को पांच कुंतल फूलों से सजा दिया जाएगा।
आपको बता दें कि बाबा केदारनाथ अपने शीतकालीन प्रवास में ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में रहते हैं। जब वो केदारघाटी जाते हैं, तो उनकी उत्सव डोली की विदाई की तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं।
डोली की रवानगी के मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थित थे, इस मौके पर सेना के बैंड की धुन के साथ ठीक 10 बजे उत्सव डोली अपने प्रथम पड़ाव फाटा के लिए रवाना हुई। डोली के दर्शन के लिए रास्ते पर पड़ने वाले गांवों में बाबा के भक्तों ने यात्रा का स्वागत किया। फाटा में रात्रि विश्राम के बाद डोली 27 अप्रैल को गौरीकुंड और 28 अप्रैल को केदारनाथ धाम पहुंचेगी।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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