उत्तराखंड
भूलकर भी अकेले मत जाइए यहां … नरकंकालों से घिरी हुई अदभुत रूपकुंड झील
उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में आना वाला रहस्यों से भरा स्थल रूपकुंड चारधाम यात्रा मार्ग पर पड़ता है। इस स्थल पड़ने वाली झील को रहस्यों से भरा इसलिए भी माना जाता है क्योंकि यहां चारोओर पाए जाने वाले रहस्यमयी प्राचीन विशाल नरकंकाल, अस्थियां, कपड़े, गहने और बर्तन सभी का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं।
उत्तराखंड पर्यटन विभाग भी रूपकुंड की ओर यात्रियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने ट्विटर एकाउंट पर काफी सक्रिय है। चारधाम यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं को इस झील के दर्शन करने की सलाह देते हुए पर्यटन विभाग अक्सर रोचक ट्विट भी करता रहता है।
This #ChardhamYatra takes a refreshing halt at #Roopkund to praise the mysteries of nature. Famous for skeleton lake beautiful and enthralling Roopkund trek is a must visit destination en route #Badrinath.#Chardhamplus #Uttarakhand #UttarakhandTourism #UTDB #IncrediIbleIndia pic.twitter.com/BKxlT09y94
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) June 24, 2018
रूपकुंड झील त्रिशूल पर्वत पर करीब 24000 फीट पर स्थित है। यह झील बागेश्वर से सटे चमोली जनपद में बेदनी बुग्याल के पास है। उत्तराखंड में हिमालय की अनेक चोटियों के बीच त्रिशूल की चोटियां हैं। भगवान शिव का त्रिशूल मानी जाने वाली त्रिशूल चोटी के नज़दीक ही रूपकुंड झील पड़ती है।
इस कुंड को लेकर कई लोगों का मानना है कि यहां भारी संस्था में बड़े-बड़े नर कंकाल खुलेआम पड़े रहते हैं ,जिन्हें देखकर डर भी लगता है। रात में यहां आने से लोग बचते हैं, यहां तक कि दिन में भी इस जगह पर अकेले आने में लोगों की सांसे फूलने लगती हैं।
रूपकुंड से जुड़ी पौराणिक कथा –
जब एक बार हिमालय पुत्री नंदादेवी भगवान शिव के साथ कैलाश मार्ग पर जा रही थी, तो एक स्थान पर उन्हें बहुत तेज़ प्यास लगी। नंदा-पार्वती के सूखे होंठों को देखकर शिव जल की तलाश में आस पास देखने लगे। अपने नज़दीक जल न मिलने पर शिव ने वहीं पर अपना त्रिशूल धरती पर मार दिया, इससे ज़मीन पर बड़ा जल कुंड बन गया और नंदादेवी ने उस जल को पीकर अपनी प्यास बुझाई थी।
#roopkund #uttarakhand #uttarakhandtourism #mysteriouslake
उत्तराखंड
10 मई से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, पहले ही दिन हुए 2 लाख से ज्यादा पंजीकरण
नई दिल्ली। इस बार 10 मई से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। इसके लिए सोमवार से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई। पहले ही दिन चार धाम के लिए दो लाख से अधिक पंजीकरण हो गए हैं। सबसे अधिक 69 हजार पंजीकरण केदारनाथ धाम के लिए हुए हैं।
रजिस्ट्रेशन की सुविधा मोबाइल ऐप, वॉट्सऐप और टोल फ्री नंबर पर भी है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। इस बार चारधाम यात्रा शुरू होने से 25 दिन पहले यात्रियों को रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी जा रही है, जिससे प्रदेश के बाहर से आने वाले यात्री अपना प्लान बनाकर आसानी से रजिस्ट्रेशन कर सकें।
रजिस्ट्रेशन के लिए नाम, मोबाइल नंबर के साथ यात्रा करने वाले सदस्यों का ब्योरा, निवास स्थान के पते के लिए आईडी देनी होगी। पर्यटन विभाग की वेबसाइट रजिस्ट्रेशन एंड टूरिस्ट केअर डॉट यूके डॉट जीओवी डॉट इन पर लॉगिन कर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। इसके अलावा वॉट्सऐप नंबर-8394833833 पर यात्रा लिखकर मैसेज करके भी पंजीकरण कर सकते हैं। पर्यटन विभाग ने टोल फ्री नंबर-0135-1364 पर कॉल करके पंजीकरण की सुविधा दी है। स्मार्ट फोन पर टूरिस्टकेअरउत्तराखंड मोबाइल ऐप से भी रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
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