आध्यात्म
गणेश चतुर्थी स्पेशल: जाने कौन सी विधि लगाएगी आपकी पूजा में चार चाँद
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल चतुर्थी को हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। गणेश पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी दिन समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करने वाले, कृपा के सागर तथा भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी का जन्म हुआ था।
गणेश चतुर्थी स्पेशल: जाने कौन सी विधि लगाएगी आपकी पूजा में चार चाँद
किसी भी काम का शुभारंभ करने से पहले लोग सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। अगर आप भी इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाने का विचार कर रहे हैं तो इससे पहले यह बात जान लीजिए की इस दौरान गणेश जी को विभिन्न तरह के पकवान और मिठाईयां भोग में चढ़ाया जाता है।
जब आप इन सब बातों पर विचार कर ही रहे हैं तो इस बीच आप स्वादिष्ट मोदक को कैसे भूल सकते हैं जोकि भगवान गणेश की पसंदीदा मिठाई है। गणेश जी को मोदक बेहद ही पसंद थे। जिस कारण उन्हें मोदकप्रिय भी कहा जाता है। मोदक एक ऐसी मिठाई है जिसे नारियल और गुड़ के साथ तैयार किया जाता है।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि।
नारद पुराण के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को विनायक व्रत करना चाहिए। यह व्रत करने कुछ प्रमुख नियम निम्न हैं:
* इस व्रत में आवाहन, प्रतिष्ठापन, आसन समर्पण, दीप दर्शन आदि द्वारा गणेश पूजन करना चाहिए।
* पूजा में दूर्वा अवश्य शामिल करें।
* गणेश जी के विभिन्न नामों से उनकी आराधना करनी चाहिए।
* नैवेद्य के रूप में पांच लड्डू रखें।
* इस दिन रात के समय चन्द्रमा की तरफ नहीं देखना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि इसे देखने पर झूठे आरोप झेलने पड़ते हैं।
* अगर रात के समय चन्द्रमा दिख जाए तो उसकी शांति के लिए पूजा करानी चाहिए।
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आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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