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आध्यात्म

इन तीन राशियां पर रहती है गणेश जी की कृपा, क्या आप भी हैं इसमें  

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Lord Ganesha

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नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 12 राशि में से हर राशि किसी न किसी देवी देवता को समर्पित है। ऐसे ही तीन राशियां भगवान गणेश को समर्पित है। माना जाता है कि इन तीन राशियों के जातक भगवान गणेश की विधिवत पूजा करे तो कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है।

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मेष राशि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मेष राशि के जातकों के ऊपर भगवान गणेश के असीम कृपा होती है। इसी कारण इस राशि के जातक अधिक निपुण और बुद्धिमान होते है। हर एक कठिन से कठिन काम को भी ही आसान तरीके से कर लेते है। इस राशि के जातको को हर एक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। श्री गणेश की कृपा पाने के लिए रोजाना उनकी पूजा करें इसके साथ ही दूर्वा अर्पित करे।

मिथुन राशि

इस राशि के जातकों के ऊपर भी भगवान गणेश मेहरबान रहते है। यह लोग पढ़ाई लिखाई में काफी तेज होते है। इसी कारण हर क्षेत्र में सफलता पाते हैं। यह लोग हर हाल में जीत हासिल करते हैं। श्री गणेश की कृपा पाने के लिए रोजाना पूजा करें। पूजा में गणपति को सिंदूर, दूर्वा, भोग लगाने के साथ गणेश चालीसा करें।

मकर राशि

इस राशि के जातकों के ऊपर भी भगवान की कृपा होती है। इन राशि के लोगों का दिमाग़ काफी तेज होता है। इस कारण हर चीज को आसानी से सीख लेते हैं । मेहनत के बल पर हर क्षेत्र पर सफलता पाते हैं। भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए रोजाना पूजा करे। इसके साथ गणेश चालीसा और मंत्र का जाप करें।

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डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता का हमारा दावा नहीं है। कृपया सम्बंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह करें।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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