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जीएसटी : चार स्तरीय कर दरें, 5 से 28 प्रतिशत तक लगेगा टैक्स
नई दिल्ली | सभी पक्षों की मांगों पर विचार करने के बाद वस्तु एवं सेवाकर(जीएसटी) परिषद में गुरुवार को 5 से लेकर 28 प्रतिशत तक के बीच चार स्तरीय कर व्यवस्था पर आम सहमति बनी। इसके साथ ही इस बात पर भी सहमति बनी कि राज्यों के घाटे को इस नई व्यवस्था में उपकर के जरिए पूरा किया जाएगा।
पांच से 28 प्रतिशत तक कर दरों के अलावा 12 और 18 प्रतिशत के मानक दर रहेंगे। इसके अलावा विलासिता की वस्तुओं जैसे बेशकीमती कारें, पान मसाला, तंबाकू उत्पादों जैसी चीजों पर 40 से 65 प्रतिशत के बीच लगेगा।
लेकिन आम लोगों को महंगाई के दबाव से बचाने के लिए खाद्यान्नों पर कोई कर नहीं लगाया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने परिषद की पहली दो दिवसीय बैठक के समाप्त होने के बाद इसका ब्योरा पेश करते हुए कहा कि फ्रिज और वाशिंग मशीन जैसी वस्तुओं पर 26 प्रतिशत कर का प्रावधान किया गया था लेकिन आम सहमति 28 प्रतिशत कर पर बनी है। इन वस्तुओं पर अभी 30-31 प्रतिशत कर लगता है।
सोना पर कितना कर लगे इसे लेकर अभी आम सहमति नहीं बन पाई है।
जेटली ने राज्यों को उपकर लगाकर उनके नुकसान की भरपाई करने का कारण भी बताया। आकलन के अनुसार पहले वर्ष में क्षतिपूर्ति के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। यदि हमें इसे कर के जरिए बढ़ाना हो तो हमें एक लाख 72 हजार करोड़ की जरूरत होगी।
भारतीय उद्योग चैंबर फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया ने कहा, “हम जीएसटी परिषद की आम सहमति तक पहुंचने और करों की चार स्तरीय व्यवस्था करने के लिए सराहना करते हैं।”
बीएमआर और एलएलपी साझीदार महेश जय सिंह ने इस बीच आईएएनएस को कहा है कि जीएसटी की नई दर को लेकर उद्योग जगत इस अस्पष्टता को लेकर दुखी है कि कौन सी चीजें 28 प्रतिशत कर के दायरे में आएंगी।
तेज खपत उपभोक्ता वस्तुओं और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि उनके उत्पादों पर 18 प्रतिशत ही कर लगेगा। कर का सर्वोच्च स्तर 18 प्रतिशत ही निर्धारित होना चाहिए।
नेशनल
सुप्रीम कोर्ट का विपक्ष को झटका- नहीं लौटेगा बैलेट पेपर, न EVM और VVPAT का 100 फीसदी मिलान
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के हर वोट का वीवीपैट पर्ची से मिलान करने की मांग करने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। बैलट पेपर की मांग वाली भी दो याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं। कोर्ट के इस फैसले से ईवीएम के जरिए डाले गए वोट की वीवीपैट की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है। ये फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सहमति दे दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया है कि चार को जून जब लोकसभा चुनाव 2024 के लिए वोटों की गिनती होगी तो उस दौरान ईवीएम के हर वोट का वीवीपैट की पर्चियों से मिलान नहीं होगा। आपको बता दें कि कई संगठनों ने यह याचिका दाखिल करके ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान की मांग की थी। कोर्ट ने चुनाव आयोग के समक्ष उठाए गए सवालों के जवाबों का संज्ञान लेने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। याचिकाकर्ताओं की तरफ से मांग की गई थी कि ईवीएम पर मतदाताओं का विश्वास बनाये रखने के लिए वीवीपैट की पर्चियों की 100 फीसदी गिनती करवाई जानी चाहिए।
चुनाव आयोग ने ईवीएम को पूरी तरह सुरक्षित बताते हुए कहा कि वीवीपैट की पर्चियां बहुत छोटी और महीन होती हैं। कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि हर चीज पर अविश्वास नहीं जता सकते। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी से ईवीएम की कार्य-प्रणाली के संबंध में पांच प्रश्न पूछे थे, जिनमें यह प्रश्न भी शामिल है कि क्या ईवीएम में लगे ‘माइक्रोकंट्रोलर’ को फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है या नहीं। कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नीतेश कुमार व्यास ने इससे पहले ईवीएम की कार्य-प्रणाली के बारे में अदालत में प्रस्तुतिकरण दिया था।
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