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नेशनल

जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में असहज शांति

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अंतर्राष्ट्रीय सीमाजम्मू | पाकिस्तान सेना की ओर से हालांकि शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन भी संघर्षविराम का उल्लंघन नहीं हुआ, फिर भी जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर असहज शांति है। सीमावर्ती गांव खाली पड़े हैं और स्कूल बंद हैं। पुलिस के मुताबिक, “आज (शुक्रवार) दूसरे दिन पाकिस्तानी सेना ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम का उल्लंघन नहीं किया।”

कुछ पुरुष सदस्यों ने हालांकि अपने खाली घरों और खेतों का जायजा दिन में लिया, पर उनके परिवार अभी गांव में नहीं लौटे हैं।

सीमावर्ती गांवों के स्कूल गोलाबारी की वजह से बंद हैं।

प्रशासन ने जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में अंतर्राष्ट्रीय के पास 174 स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है।

बताया जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से होने वाली गोलाबारी से 400 स्कूल प्रभावित हुए हैं।

भारतीय सेना का कहना है कि जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना की चार सीमावर्ती चौकियों को नष्ट कर दिया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा में मुस्तैद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने कहा कि वे पहले ही बुधवार को 14 पाकिस्तानी सीमा चौकियों को धवस्त कर चुके हैं।

बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान रेंजर्स इन चौकियों का इस्तेमाल रिहायशी क्षेत्रों में गोलाबारी के लिए किया करते थे।

अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे आर.एस.पुरा, अरनिया, सुचेतगढ़, अखनूर, रामगढ़ और अन्य कई सेक्टरों में पाकिस्तान की सेना द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने के कारण यहां के लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।

स्थानीय लोग शांति चाहते हैं, ताकि वे अपने घर लौट सकें और फसलों की कटाई कर सकें।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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