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शरई मजबूरी के बिना रोजा छोड़ना गुनाह

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लखनऊ। माह-ए-रमजान लोगों को नेकी की तरफ बुलाता है और कुरआन जिंदगी गुजारने का बेहतरीन तरीका बताता है। अल्लाह तआला ने कुरआन को रमजान माह में नाजिल कर यही पैगाम दिया है। कुरआन की बातों को जानकार उसे दूसरों तक पहुंचाना भी रोजे का मकसद है। इस्लाम विद्वानों के मुताबिक, पहले रमजान से शुरू होने वाली कुरआन की तिलावत और तरावीह की नमाज भी पूरे महीने पढ़नी चाहिए। रोजेदारों को कुरआन का एहतमाम भी ज्यादा से ज्यादा इस माह में करना चाहिए। साथ ही कुरआन को मायने के साथ पढ़ना चाहिए, ताकि अल्लाह तआला के एक-एक हुकुम पर अमल करना आसान हो सके। रमजान के रोजे के दौरान आंख, नाक, कान व जुबान का रोजा भी होना चाहिए और हर तरह से गुनाहों से बचना चाहिए।

माह-ए-रमजान के मकसद पर रोजेदारों से बात की गई, जिस पर रोजेदारों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दीं :

सुल्तान अहमद व मो. इस्लाम ने कहा कि रोजा अल्लाह तआला को राजी करने के लिए रखा जाता है। भूखा-प्यासा भी उसी के लिए रहते हैं। उन्होंने कहा कि यह माह रहमत, बरकत और मगफिरत का महीना है। आखिरी असरा मगफिरत में तीन रातें सबे कद्र की होती हैं, जिनमें रातभर जागकर तिलावत की जाती हैं।

हाफिज सैय्यद मो. अहमद ने कहा कि रमजान में अल्लाह तआला मुसलमानों का दिल नेकियों की तरफ झुका देता है, इसलिए कुरआन को ध्यान से सुनना चाहिए और उसकी बातों पर अमल करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कुरआन के मुताबिक, जिंदगी गुजारने पर कामयाबी मिलती है। ोजे का मकसद यह भी है कि अमीर, गरीब के बीच की खाई बराबर रहे।

अहमद ने कहा कि जकात, सदका व फितरा निकालने से बरकत होती है और गरीब भी खुशियों के साथ ईद मनाते हैं।

वहीं, सेराजुल हसन व उसमान खान ने कहा कि माहे रमजान इबादत का महीना है। हर बालिग आकिल के लिए रोजा फर्ज है। बिना किसी शरई मजबूरी के जो भी इन रोजों को छोड़ेगा, वह गुनहगार है। उन्होंने कहा कि बीमारों और मुसाफिरों को रोजे में छूट दी गई है।

उन्होंने कहा कि बीमारी दूर हो जाने व सफर से लौटने के बाद छूटे हुए रोजे रखना जरूरी है। बेहतर है कि रमजान के फर्ज रोजों को छोड़ा न जाए। रोजा सिर्फ भूखा रहने का नाम नहीं है। बुरे काम से परहेज जरूरी है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा समय इबादत में गुजारना मुनासिब होता है।

हसन के मुताबिक, रोजेदारों को रमजान के पूरे महीने गुनाहों से बचना चाहिए। अल्लाह तआला उन पर अपनी नजरें नाजिल करता है। रोजा रखने से अहसास होता है कि गरीबों की भूख प्यास क्या होती है? जकात करने के पीछे गरीबों की भलाई का सबक छिपा है।

 

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राजस्थान के दौसा में सड़क किनारे सो रहे 11 लोगों को बेकाबू कार ने कुचला, तीन की मौत, 8 घायल

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दौसा। राजस्थान के दौसा में बड़ा सड़क हादसा हुआ है। यहाँ एक बेकाबू कार ने सड़क किनारे सो रहे 11 लोगों को कुचल दिया। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है जबकि 8 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। मृतकों में एक बच्ची भी शामिल है। पुलिस ने बताया कि हादसे में दो घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि छह को आगे के इलाज के लिए जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रेफर किया गया। कार को जब्त कर लिया गया है, हालांकि चालक फरार है। उसे पकड़ने की कोशिश की जा रही है।

हादसा गुरुवार की रात करीब 11.15 बजे हुआ है। सभी मृतक व घायल खानाबदोश परिवार के लोग थे, जो टीकाराम पालीवाल गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पास सड़क किनारे झुग्गी में रहते थे। हेड कॉन्स्टेबल बृजकिशोर ने बताया कि रात करीब 11.20 बजे घटना की सूचना पुलिस को मिली थी। फौरन पुलिस मौके पर पहुंची। जांच में सामने आया कि तेज रफ्तार कार के ड्राइवर ने तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए सड़क किनारे सो रहे लोगों को कुचल दिया है। घटना की सूचना पर गुरुवार की देर रात महवा विधायक राजेंद्र मीणा हॉस्पिटल पहुंचे। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों का हालचाल जाना और थाना इंचार्ज जितेंद्र सोलंकी को कार ड्राइवर के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए कहा।

जयपुर स्थित एसएमएस हॉस्पिटल में ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि दौसा के महवा से रेफर होकर 6 घायलों को यहां भर्ती किया गया था। इसमें से 1 दिलीप नाम के युवक को छुट्‌टी दे दी गई है। 5 अन्य को सर्जरी यूनिट में भर्ती रखा गया है। इसमें एक मरीज के सिर में थोड़ी ज्यादा चोट है, बाकी चार की स्थिति सामान्य है। इनका इलाज चल रहा है।

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