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नए जनादेश के मायने

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दिल्ली में आप की अभूतपूर्व जीत कई मायनों में खास है। इस चुनाव में आप ने विधानसभा की 95 फीसदी सीटों पर कब्जा कर एक नया रिकॉर्ड कायम किया। रिकार्ड यहीं नहीं थमते, मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा केवल तीन सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस का कोई नामलेवा भी नहीं है। और तो और कांग्रेस के 70 में 62 प्रत्शायिशों की जमानत भी जब्त हो गई। इस रिकॉर्ड जीत के रथ पर सवार केजरीवाल ने राजनीति के बड़े धुरंधरों को भी पटखनी दे दी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी के हर दांव आजमा लेने के बाद भी उनका अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा दिल्ली में ठहर गया। इससे पहले वह हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र में सफलता की इबारत लिख चुके थे।

आप की सफलता यूं भी खास है क्योंकि राजनीतिक परिदृश्य पर आप का उदय हुए बमुश्किल सवा दो साल हुए हैं जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर परचम फहराया था। केजरीवाल ने चुनाव में पिछली गलतियों से सबक भी लिया। इस बार उन्होंने अपना ज्यादा समय मध्यम वर्ग और बस्तियों पर पकड़ बनाने में लगाया। उन्होंने बार-बार माफी मांगकर दिल्ली के लोगों से भावुक अपील की, उससे भी लोगों को लगा कि कांग्रेस और भाजपा को तो बहुत देख लिया, इस बार पांच साल का मौका केजरीवाल को देना चाहिए। पिछले कुछ समय से लव जेहाद, धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भाजपा सरकार का जैसा रुख रहा है, उससे दिल्ली के अल्पसंख्यक भाजपा को लेकर हमेशा की तरह शंकित रहे। कांग्रेस उनके लिए कोई विकल्प थी नहीं, और इसका फायदा आप को मिला।

चुनाव में अगर भाजपा की असफलता की बात की जाए तो उसकी सीएम पद की उम्मीदवार किरण बेदी को ही शिकस्त झेलनी पड़ी। चुनाव आयोग ने दिल्ली में चुनावी तैयारियों के लिए वैसे भी ज्यादा वक्त नहीं दिया था लेकिन इसी बीच किरण बेदी का भाजपा में शामिल होना और यकायक सीएम उम्मीदवार बन जाना कई भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के गले के नीचे नहीं उतरा। उन्हें पैराशूट उम्मीदवार का दर्जा दिया गया और यह भाजपा की असफलता की प्रमुख वजह बना। किरण बेदी द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जनता ने भरोसा भी नहीं दिखाया। केजरीवाल के खिलाफ भाजपा का नकारात्मक प्रचार भी उसकी नाकामी की कहानी लिख गया। मफलरमैन और अभागा जैसे शब्दों से संबोधित किए गए केजरीवाल को जनता का भरपूर साथ मिला। आम आदमी पार्टी ने काफी संयम से बिजली, सड़क, पानी, महिला सुरक्षा और सारे शहर को वाई-फाई से जोड़ने जैसी बातें की और लोगों ने इन्हें पूरे नंबर दिए।

केजरीवाल की इस प्रचंड जीत से उसके विरोधियों को भी यह कहने का मौका दे दिया कि ये मोदी की करारी हार है। अगले कुछ साल में होने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनावों के लिए भी इसके निहितार्थ तलाशे जाने लगे हैं। फिलहाल आप दिल्ली में दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। भारतीय राजनीति में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण याद नहीं आता। असल में अब बारी आम आदमी पार्टी की है कि वह चुनाव के दौरान दिल्ली के लोगों से किए गए वादों पर खरा उतरकर दिखाए।

नेशनल

दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी

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नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।

स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।

नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”

 

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