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हेल्थ

बैरन नींद न आए..महिलाओं में अनिद्रा की समस्या

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बैरन नींद न आए..महिलाओं में अनिद्रा की समस्या

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बैरन नींद न आए..महिलाओं में अनिद्रा की समस्या

नई दिल्ली| अनिद्रा और कम नींद उन समस्याआंे में से है जिनसे महिलाएं अक्सर ग्रस्त रहती हैं। एक अनुमान के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अनिद्रा एवं नींद से जुड़ी समस्याएं दोगुनी होती है और इन समस्याओं के कारण उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इससे वे कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो जाती हैं। अनिद्रा (इनसोमनिया) से ग्रस्त महिलाएं उच्च रक्त चाप, दिल के दौरे और मस्तिष्क आघात जैसी जानलेवा समस्याओं से ग्रस्त हो सकती हंै।

अनिद्रा की बीमारी से यूं तो करीब एक तिहाई आबादी ग्रस्त है लेकिन महिलाओं में इस बीमारी का प्रकोप बहुत अधिक है। हर दूसरी-तीसरी महिला को रात-रात भर नींद नहीं आने की शिकायत होती है। हालांकि नींद नहीं आने के कई कारण हैं लेकिन मौजूद समय में महिलाओं पर खास कर शहरी महिलाओं पर घर-दफ्तर की दोहरी जिम्मेदारी आने के कारण उत्पन्न तनाव और मानसिक परेशानियों ने भी ज्यादातर महिलाओं की आंखों से नींद चुरा लिया है। वहीं, नौकरीपेशा एवं महत्वाकांक्षी महिलाओं में शराब एवं सिगरेट का फैशन बढ़ने से भी उनमें यह बीमारी बढ़ी है।

प्रसिद्ध मनोचिकित्सक एवं नई दिल्ली स्थित कॉस्मोस इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड बिहैवियरल साइंसेस (सीआईएमबीएस) के निदेशक डा. सुनील मित्तल बताते हैं कि महिलाओं में कुदरती तौर पर ही अनिद्रा एवं कम नींद आने की समस्या अधिक होती है। इसके कई कारण हैं जिनमें खास हार्मोन का बनना, अधिक जिम्मेदारियां होना, डिप्रेशन एवं एंजाइटी जैसी मानसिक समस्याएं अधिक होना आदि प्रमुख है।

डा. सुनील मित्तल बताते हैं कि अक्सर कई महिलाओं में यह देखा गया है कि उन्हें नींद आने में दिक्कत होती है तथा बीच रात में या बहुत सबेरे नींद खुल जाती है। इसका इलाज नहीं होने पर दिन भर थकान रहने, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, कार्य क्षमता में कमी, दुर्घटना एवं चोट लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

अनिद्रा की शिकार महिलाओं में उच्च रक्त चाप, दिल के दौरे और मस्तिष्क आघात जैसी जानलेवा एवं गंभीर बीमारियां होने का खतरा अधिक रहता है। रोजाना सात-आठ घंटे की नींद जरूरी है लेकिन अगर अच्छी एवं गहरी नींद आए तब चार-पांच घंटे की नींद ही पर्याप्त होती है।

सीआईएमबीएस की मनोचिकित्सक डा. शोभना मित्तल बताती हैं कि महिलाओं में नींद कम आने की समस्या केवल भारत में ही नहीं दुनिया में हर जगह है। महिलाओं में कम नींद आने के अलावा नींद के दौरान पैरों में छटपटाहट (रेस्टलेस लेग सिन्ड्रॉम) और नींद से उठकर खाना खाने की समस्या अधिक पायी जाती है। डा. भाटिया का कहना है कि टेलीविजन के दौर में देर रात तक धारावाहिक देखने की आदत के कारण भी महिलाओं की नींद खराब हो रही है।

सीआईएमबीएस के मनोचिकित्सक डा. समीर किलानी कहते हैं कि अक्सर महिलाएं नींद से संबंधित परेशानियों को नजरअंदाज करती हैं लेकिन उन्हें इन समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और चिकित्सकों से संपर्क करना चाहिए क्योंकि नींद की कमी के कारण लोगों, खास तौर पर युवकों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल से संबंधित रोग एवं मोटापा जैसी कई बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और इस पर ध्यान नहीं दिए जाने के परिणाम घातक भी हो सकते हैं।

सीआईएमबीएस की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट मिताली श्रीवास्तव कहती हैं कि भरपूर नींद लेने से हमारी शारीरिक उर्जा को बनाए रखने में भी मदद मिलती है। नींद हमारे दिमाग और शरीर के लिए कई तरह से जरूरी है। नींद की स्वस्थ आदत किसी भी उम्र के व्यक्ति के स्वास्थ्य और उसकी बेहतरी के लिए आवश्यक है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ ईएनटी विशेषज्ञ डा. संदीप सिंधु के अनुसार हालांकि नींद से जुड़ी खरार्टे की समस्या भी प्रमुख है। लेकिन यह समस्य पुरुषों में अधिक पाई जाती है लेकिन अधिक वजन की महिलाओं के अलावा रजोनिवृत महिलाओं को यह समस्या हो जाती है।

डा. सुनील मित्तल के अनुसार अनिद्रा अर्थात इनसोमनिया की बीमारी कई रूपों में सामने आती है। आम तौर पर यह किसी छिपी बीमारी का लक्षण है। इनसोमनिया किसी भी उम्र में हो सकती है और महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी होती है लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस बीमारी से काफी अधिक ग्रस्त रहती हैं।

इनसोमनिया कई कारणों से हो सकती है जिनमें से एक कारण रेस्टलेस लेग सिन्ड्रॉम है। ऐसे रोगियों की टांगें नींद में छटपटाती रहती है, जिससे दिमाग के अंदर नींद में बार-बार व्यवधान पड़ता है और बार-बार नींद खुलती रहती है। अधिक समय तक इस बीमारी से ग्रस्त रहने पर मरीज डिप्रेशन का भी शिकार हो जाता है क्योंकि इनसोमनिया के लक्षण उसे मानसिक रोगी बना देते हैं।

इनसोमनिया की पहचान इसके लक्षणों से ही हो जाती है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए रोगी की नींद का अध्ययन करना जरूरी है क्योंकि जब तक रोगी की नींद का अध्ययन नहीं किया जाएगा बीमारी की गंभीरता का भी पता नहीं चल पाएगा।

शयन अध्ययन (स्लीप स्टडीज) के दौरान मरीज की हृदय गति, आंखों की गति, शारीरिक स्थिति, श्वसन मार्ग की स्थिति, रक्त प्रवाह आदि का मानीटर किया जाता है। इससे यह पता लग जाता है कि रोगी को सोने के समय क्या दिक्कत आती है। अनिद्रा स्वयं में बीमारी ही नहीं बल्कि दूसरी बीमारी या बीमारियों का लक्षण भी है और इसलिए इनसोमनिया का इलाज करने के लिए उसके मूल कारण को जानना और उस कारण का इलाज करना आवश्यक है।

लाइफ स्टाइल

तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय

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Death due to heart diseases increasing

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नई दिल्ली। भारत में दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कॉलेस्ट्रॉल, धूम्रपान एवं आनुवंशिक कारणों से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ रही है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई आबादी में आनुवंशिक रूप से दिल की बीमारियों की संभावना अधिक होती है। दिल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय हैं, जिसे अपनाकर आप दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

सेहतमंद आहार लें

संतुलित और सेहतमंद आहार का सेवन करने से शरीर को सही पोषण मिलता है। जंक फूड में फैट, नमक और चीनी बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो समय के साथ हमारे दिल को बीमार बना देती है। अक्सर लोग बिना सोचे समझे प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं क्योंकि उन्हें यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इस तरह का भोजन हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और लो सैचुरेटेड फैट होने चाहिए।

गतिहीन जीवनशैली से बचें

बहुत से लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। आज हममें से लाखों लोग ऐसी नौकरियां करते हैं, जिसके लिए उन्हें घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना पड़ता है। व्यायाम की कमी व्यक्ति के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। यह मोटापे को जन्म देती है, जिसके कारण व्यक्ति धीरे धीरे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियों का शिकार बन जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय

व्यायाम दिल को तंदुरुस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्डियो व्यायाम से दिल की पम्प करने की क्षमता बढ़ती है और दिल की मांसपेशियां तंदुरुस्त बन जाती हैं। नियमित व्यायाम करने से रक्तचाप नियन्त्रण में रहता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं और ब्लड शुगर भी नियन्त्रित रहती है।

तनाव से बचें

तनाव आज हम सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, खासतौर पर ज्यादातर शहरी लोग अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं। जब आपका शरीर तनाव में रहता है, तो इसका असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है। तनाव के समय शरीर में एड्रिनलिन हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, अगर ऐसा नियमित रूप से होने लगे तो दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

अच्छी और गहरी नींद

समय की कमी के कारण बहुत से लोग अपनी नींद को कम कर काम करने लगते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नींद से समझौता करते हैं जो सेहत के लिए खास तौर पर दिल के लिए खतरनाक है। 7-8 घंटे से कम नींद लेने से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब का सेवन किसी भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। आजकल विकासशील देशों में धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जो दिल के लिए नुकसानदायक है। यहां तक कि अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो वह भी आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं। धूम्रपान छोड़ने के लिए परिवार और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। इसकी आदत छोड़ने के लिए निकोटीन पैच या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराकर आप दिल की बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से अगर आपको कोई समस्या है तो समय पर उसका निदान हो जाएगा और समय रहते इलाज शुरू कर बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकेगा। इसलिए नियमित रूप से अपनी जांच करवाते रहें और अपने स्वास्थ्य को मॉनिटर करते रहें।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी एक सूचना मात्र है. अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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