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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन ने साउथ चाइना सी पर रॉकेट लॉन्चर्स तैनात कर अमेरिका को ललकारा

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रॉकेट लॉन्च र्स, साउथ चाइना सी, चीन, तनाव बढ़ा

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बीजिंग। चीन ने साउथ चाइना सी पर रॉकेट लॉन्‍चर्स तैनात कर दिए हैं। साउथ चाइना सी के इस विवादित इलाके में चीन की इस उकसावे वाली कार्रवाई को तनाव बढ़ाने वाला बताया जा रहा है।

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चीन के सरकारी अखबार डिफेंस टाइम्स के अनुसार ये लॉन्‍चर्स वियतनाम के नेवी बेस के निकट तैनात किए गए हैं।  इसका मकसद वियतनाम के सैन्य गोताखोरों को इस जगह से दूर रखना है।

बता दें कि साउथ चाइना सी में चीन के आक्रामक रुख का भारत भी विरोध करता रहा है। उधर  चीन का कहना है कि यह द्वीप उसके क्षेत्र में आता है और यहां पर वह जो चाहे कर सकता है। डिफेंस टाइम्‍स की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक नोरीनको सीएस/एआर-1 55mm रॉकेट लांचर डिफेंस सिस्टम को स्प्राटल द्वीप समूह के फियरी क्रॉस रीफ पर तैनात किया गया है।

चीन इस द्वीप पर अपना अधिकार जताता है, जबकि फिलीपींस, वियतनाम और ताइवान इसका विरोध करते हैं। इन देशों का कहना है कि यह द्वीप उसके हिस्‍से में आता वहीं, अमेरिका ने चीन की ओर से विवादित साउथ चाइना सी में किए जा रहे मिलिट्री कंस्‍ट्रक्‍शन और मिलिट्री एक्टिविटीज की कड़ी आलोचना की है।

साथ ही इस क्षेत्र में नियमित रूप से स्वतंत्र नौपरिवहन के लिए हवाई और समुद्री मार्ग से पेट्रोलिंग करने पर जोर दिया है। हाल ही में अमेरिका ने साउथ चाइना सी के पास जहाज और एयरक्राफ्ट भेजे गए थे, जिस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। चीन ने अमेरिका को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर अमेरिका ने उसके क्षेत्र में घुसने की कोशिश की, तो वह उसे सबक सिखाएगा। चीन के ये रॉकेट लॉन्‍चर्स दुश्मन के आक्रमण को भांपने के साथ ही उसकी पहचान करने में सक्षम है।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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