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अन्तर्राष्ट्रीय

क्या होता है उस गैर-मुस्लिम के साथ, जो मक्का में प्रवेश कर जाता है?

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नई दिल्ली। दुनिया में कई ऐसी जगहें है जहां जाने के लिए कई तरह की बंदिशों का सामना करना पड़ता है और कई जगहें ऐसी हैं जहां जाना ही कई लोगों के लिए प्रतिबंधित है। ये जगहें एक विशेष धर्म समुदाय से नाता रखतीं हैं। जैसे बालाजी मंदिर, कहा जाता है कि वहां मुस्लिमों का जाना प्रतिबन्धित है और मक्का जहाँ के लिए कहा जाता है कि वहां मुस्लिमों के अलावा किसी भी धर्म के व्यक्ति का जाना प्रतिबंधित है। बात करें मक्का की तो ऐसा क्यों है कि मक्का में किसी गैर-मुस्लिम का प्रवेश वर्जित है और अगर कोई गैर मुस्लिम मक्का में प्रवेश कर जाए तो उसके साथ क्या होता है?

सच्चाई ये है कि मक्का में कोई गैर मुस्लिम प्रवेश ही नहीं कर सकता क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर गैर-मुस्लिम व्यक्ति को वहां नास्तिक समझा जाता है। जब आप मक्का की और ब़ढ़ेंगे तो आपको जगह-जगह बोर्ड दिखेंगे जिसमें लिखा रहता है कि गैर-मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है। पहले गैर-मुस्लिमों की जगह ‘काफ़िर’ शब्द का प्रयोग किया जाता था। लेकिन बाद में गैर-मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल होने लगा। पहली बात तो कोई भी गैर-मुस्लिम मक्का जाने के लिए सऊदी अरब की यात्रा नहीं कर सकता। मक्का में रहने के लिए आपको एक विशेष परमिट की आवश्कता होती है। ये परमिट इस बात का सबूत होता है कि आप मुस्लिम हैं। अगर कोई व्यक्ति बिना अनुमति के प्रवेश करने की कोशिश करता है तो उसे सरकार की तरफ से जुर्माना या देश निकाला जैसी सज़ा दे दी जाती है।

मान्यता है कि किसी भी गैर-मुस्लिम के प्रवेश करने से इस पाक जगह की पवित्रता खंडित हो जाएगी। इसलिए किसी भी गैर-मुस्लिम का यहां प्रवेश वर्जित है। सरकार लोगों की जांच कर उन्हें परमिट देने के साथ इस बात का ख़ास ख्याल रखती है कि कोई भी गैर-मुस्लिम यहाँ प्रवेश न कर पाए। जबकि मदीना में ऐसी कोई रोक-टोक नहीं है।

अन्तर्राष्ट्रीय

जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत

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नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।

इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।

उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।

डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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