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आज के माहौल में जाति व्यवस्था पर चोट करता माखनलाल चतुर्वेदी का यह लेख जरूर पढ़ें

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बीती 2 अप्रैल से जाति को लेकर गर्म हुआ माहौल अभी भी पूरी तरह से ठंडा नहीं हुआ है। कई जगहों पर अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है। इसमें अभी तक करीब 14 लोगों की मौत हुई है। इस प्रदर्शन में जितने भी लोग शामिल हुए हैं कम से कम उनको एक बार प्रख्यात कवि, लेखक और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी का जाति व्यवस्था पर चोट करता यह लेख जरूर पढ़ना चाहिए।

माखनलाल चतुर्वेदी का यह लेख आप तक पहुंचाने के दो कारण हैं। पहला कारण है पिछले दिनों हुआ जातीय प्रदर्शन, यह प्रदर्शन 10 से ज्यादा राज्यों में हिंसात्मक हुआ जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और दूसरा कारण यह है कि आज माखनलाल चतुर्वेदी का जयंती है।

जाति व्यवस्था पर चोट करता माखनलाल चतुर्वेदी के लेख का कुछ अंश

किसी भी देश की दशा तब तक ठीक रहती है जब तक कि उनकी देखभाल कर दर्दों की औषधि करने का अधिकारी बनने वाला चुप होकर न बैठ जाए। एक का इस प्रकार बैठ जाना ही यह सिद्ध करता है कि वह अंतःकरण से चाहता है कि जातियों में द्वेष की आग भड़के और असंतोष की आंधी अपना कार्य परिपूर्णता पर पहुंचा दे। वह भी एक दिन होगा कि जिस दिन झगड़ों का परिणाम भयंकर होगा और उन चिड़ीमारों को ही इस प्रकार के अपराधों की संपूर्णता का उत्तरदाता बनना पड़ेगा। क्या वह जाति अपने को बहुत गुण-गौरवपूर्ण समझती है जो मूर्खता से द्वेष की आग में कुछ नीति और मूर्खता की फूंकें मारकर उसे प्रज्ज्वलित कर रही है? उसे स्मरण रखना होगा कि दूसरी जाति भी पत्थर की इमारत को जलाने के समय अग्नि की भयंकर ज्वालों को संभालने में समर्थ है और उसे अपने कपूर से बने हुए शुद्ध, पवित्र, उजले और सुगंधित वस्त्र को बहुत सावधानी से बचाना चाहिए, जिसमें सदैव, सबसे प्रथम आग लग जाने की शंका है और प्रायः सदैव उसी में प्रथम आग लगती रही है। जिसका साक्षी संसार की गत शताब्दियों का इतिहास है। हां, माना जा सकता है कि पत्थर के मंदिरों में बैठी रहने वाली जाति पत्थर हो चुकी हों, परंतु नहीं, जो किया जा रहा है, और इसे कौन कह सकता है कि वह जाति अपनी संपूर्ण आत्मशक्ति और उच्चता खोकर, निरी पत्थर हो चुकी होगी।

यह भी सोच लेना चाहिए कि हम (भारतवासी) धर्मप्राणता दिखाते समय कितने दर्जे का पागलपन करने लगते हैं और इस पागलपन से लाभ उठाने वाली श्रेणी इस समय, हमारे मध्य में पड़कर, कैसे-कैसे सुंदर संदेशे हमारे हेतु भेज रही है। हम उस समय अपनी मूर्खता की चरम सीमा दिखाने लगते हैं। हमारा वह विचार कि ‘पवित्र ईश्वर के सामने हम सब जातियां समान हैं’, न जाने कहां चला जाता है। भारतीय झगड़ों में हमें तीन बातें विशेषता से देखने को मिलती हैं-
1. जाति की जड़ प्रकृति और सहनशीलता के रूप में हतवीर्यता।
2. जाति की मूर्खता और अपना झूठा सिक्का जमाने की चेष्टा, अपनी मूर्खता का द्वार खुला पाकर उनमें बिना विचारे घुस जाना।
3. जाति का अनुचित हस्तक्षेप, झगड़ालू जाति के मूर्खता के दरवाजों को खोल देना और उसके द्वेष के मैदान को विस्तृत कर अपने अधिकार का दुरुपयोग करना।

कुछ मनुष्यों का समूह, चिंता और विचार में संपूर्ण समय बिताकर अंत में जातियों की मुठभेड़ का दुर्दृश्य अपनी आंखों से देखने का अवसर आने देता है और अवसर आने पर अपने पक्षवालों में मूर्खतापूर्वक दहाड़ने लगता है। एक और चिंतित कार्यकारी समूह है जिसकी अभी चलती नहीं। उस समय के व्यक्ति सोचा करते हैं कि यह भाइयों का नाश कर, जाति को रसातल में पहुंचा देनेवाला, कुकृत्य किस प्रकार बंद हो और लड़ते समय वाह-वाह कहने वालों का दल नाश हो।

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रायबरेली में होगी अमेठी से भी बड़ी हार, बीजेपी का राहुल गांधी पर निशाना

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लखनऊ। कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी से उम्‍मीदवार कौन होगा? इसपर सस्‍पेंस खत्‍म कर दिया है। पार्टी ने शुक्रवार को नामांकन के आखि‍री द‍िन नई ल‍िस्‍ट जारी कर इन दोनों सीटों पर प्रत्‍याशि‍यों के नाम का एलान कर द‍िया है। कांग्रेस ने अमेठी से केएल शर्मा को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस की पारंपरिक सीट रायबरेली से खुद राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद भाजपा ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर निशाना साधा है।

उपमुख्मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘राहुल गांधी और गांधी परिवार में अमेठी-रायबरेली से चुनाव लड़ने का साहस नहीं हो रहा है, लेकिन किसी ने उन्हें (राहुल गांधी) समझाया होगा कि पिछली बार सोनिया गांधी इतने मतों से जीत गई थीं इसलिए आप अमेठी न जाकर रायबरेली चलिए। रायबरेली में राहुल गांधी की अमेठी से भी बड़ी पराजय होने जा रही है। हम ये दोनों सीटें तो बहुत बड़ें नंबर से जीतेंगे ही साथ ही उत्तर प्रदेश की 80 की 80 सीटें भी जीतेंगे’

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी पहले अमेठी छोड़कर वायनाड भाग गए थे, अब वायनाड छोड़कर रायबरेली आ गए हैं, रायबरेली के लोग उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी को लेकर जिस तरह का माहौल बना है, वही कारण है कि कांग्रेस पहले तो तय नहीं कर पा रही थी कि क्या करना चाहिए। पिछली बार राहुल गांधी अमेठी से हार कर केरल की तरफ भागे थे। अब वायनाड से हार की आशंका देखते हुए रायबरेली आ गए। उत्तर प्रदेश का माहौल मोदीमय हो चुका है। हम पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ने जा रहे हैं… रायबरेली की जनता भी उनका(राहुल गांधी) इंतजार कर रही है कि कांग्रेस ने पीएम मोदी के बारे में जो भी हल्की बातें कही हैं उसका हिसाब उन्हें देना पड़ेगा।’

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