आध्यात्म
सब कामनाओं को छोड़ दो
जो बड़े समझदार ज्ञानी होते हैं, असली ज्ञानी वो ‘तृणोपमम् ‘ तृण के समान छोड़ देते हैं, मोक्ष को। अरे वेद कह रहा है-
न परिलषन्ति केचिदपवर्गमपीश्वर ते।
(भाग. 10-87-21)
मोक्ष वोक्ष हम नहीं चाहते। अरे शंकराचार्य स्वयं कह रहे हैं-
किं लोकेन दमेन किं नृपतिना स्वर्गा पवर्गैश्च किम ।।
(प्रबोधसुधाकर, शंकराचार्य)
मुझे नहीं चाहिये मोक्ष वोक्ष-
अस्माकं यदुनंदनांघ्रियुगलध्यानावधानार्थिनाम् ।
(शंकराचार्य)
शंकराचार्य कह रहे हैं और इसके पहले एक दिन हमने बताया था, भूले न होंगे। शंकराचार्य के गुरु के गुरु शुकदेव परमहंस भागवत सुन रहे हैं, पढ़ रहे हैं भागवत को और सुनाओ रहे हैं वेदव्यास, भगवान् के अवतार वो भागवत बना रहे हैं और नारद जी सनकादिक और ब्रह्मा, ये सब प्रेमानन्द में विभोर हुये। ये सब बड़े बड़े ज्ञानी योगियों के नेता थे। ऐसा है प्रेम मार्ग, ऐसी है भक्ति देवी। लेकिन पहली शर्त है सब कामनाओं को छोड़ दो। दूसरी शर्त आगे बतायेंगे।
।। लाड़ली लाल की जय ।।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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