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आध्यात्म

हम आनन्द के अंश हैं

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kripalu ji maharaj

जैसे कोई घोर कामी घोर कामिनी स्‍त्री के आलिंगन के बाद दोनों बेहोश हो जायें, इतना सुख मिले। ऐसा होता वोता तो नहीं होगा। लेकिन अगर कहीं हो जाय इस तरह। ऐसे ही जब आप गहरी नींद में जाते हैं, तो भगवान् आपका आलिंगन करते हैं, उस समय चोरी चोरी। अन्‍दर तो बैठे हैं सदा, आपके बिल्‍कुल पास, लेकिन उस समय आलिंगन करते हैं। तो आपको न बाहर का अनुभव होता है और न भीतर का, न अपना न भगवान् का, केवल आनन्‍द का। ये आनन्‍द है नहीं। लेकिन जैसे कोई आभास होता है।

एक होती है लौ दीपक की, एक लौ के ऊपर होता है काला काला ऐसा एक आभास भगवान् कराते हैं कि देखो बेटा! ये मैं जरा थोड़ा सा सैम्पिल दे रहा हूँ। अगर मुझको सचमुच को पा लोगे न, तो कितना सुख मिलेगा। इसी सुख में अनन्‍त गुना कर दो। जो सुख गहरी नींद में मिलता है, उसी का अनन्‍त गुना, वो सुख चाहते हैं, हम लोग-

यो वै भूमा तत्‍सुखम्।

(छान्‍दोग्‍योपनिषद् 7-23-1)

क्‍यों चाहते हैं, ये भी आप लोगों को बहुत बार बताया गया है। इसलिये कि हम आनन्‍द के अंश हैं। आनन्‍द के अंश हैं? आनन्‍द के अंश होते तो जड़ होते? अरे हम लोगों को भी तो मिलता। मान लो जो आप कहते हैं गहरी नींद वाला। तो वो भी तो जड़ है। तो क्‍या उसके हाथ, पैर, आँख, कान, नाक, मन, बुद्धि है? आनन्‍द तो जड़ होता है न। आनन्‍द मिल गया। वो किधर है? कैसा है? लाल, पीला, काला, नीला। नहीं जी, वो तो बस रियलाइज करने का है-

मूकास्‍वादनवत् ।

(ना. भ. सूत्र 52)

जैसे गूँगा रसगुल्‍ला खाये और पूछो कैसा होता है? हूँ, हूँ बस। यानी तुम खाओ तो तुमको मालूम पड़ेगा। ऐसा होता है। वो रसना से बताया नहीं जा सकता। नारद जी 54वें भक्ति सूत्र में ये कहा है-

गुणरहितं कामनारहितं प्रतिक्षणंवर्धमानमविच्छिन्‍ नं सूक्ष्‍मतरमनुभवरूपम् ।।

(ना. भ. सूत्र 54)

मूकास्‍वादनवत् ।

(ना. भ. सूत्र 52)

प्रकाशते क्‍वापि पात्रे।।

(ना. भ. सूत्र 53)

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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