बिजनेस
चीन में मंदी के बीच नई बच्चा नीति लागू करना चुनौती
नई दिल्ली| भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की विशाल अर्थव्यवस्था में छाई मंदी साल 2016 में भी जारी रहेगी। हालांकि चीन ने अपने चार दशक पुराने एक बच्चा नियमों में बदलाव कर दो बच्चा करने का फैसला किया है ताकि देश की बुजुर्ग आबादी में युवाओं की संख्या बढ़े। लेकिन इसका असर दिखने में अभी वक्त लगेगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक चीन दक्षिणी चीन सागर में अपनी ताकत दिखाता रहेगा जहां उसकी पड़ोसी देशों जापान और वियतनाम से तकरार चल रही है। वहीं भारत के साथ चीन के संबंध में सुधार देखने को मिलेगा हालांकि दोनों ही देश सामरिक और सुरक्षा क्षेत्र में सावधानी बरतते रहेंगे।
सोसाइटी फॉर पालिसी स्टडीज (एसपीएस) के निदेशक और सामरिक विशेषज्ञ सी. उदय भास्कर ने आईएएनएस को बताया, “चीन द्वारा अपनी एकल बच्चा नीति में बदलाव एक बड़ा सामाजिक-राजनीतिक बदलाव है। लेकिन इस बदलाव का फायदा मिलने में अभी 25-30 साल लगेंगे।”
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्वी एशिया अध्ययन केंद्र के प्रो. श्रीकांत कोंडापल्ली कहते हैं, “आंकड़ों से यह जाहिर होता है कि चीन की 64 फीसदी आबादी अभी भी एक बच्चा नीति को ही तरजीह दे रही है। इसे सफल बनाने के लिए चीन को पहले जनमत बनाना होगा।”
चीन की सबसे बड़ी ताकत उसकी अर्थव्यवस्था है, लेकिन उसमें पिछले साल 11 अगस्त को यूआन के अवमूल्यन के साथ ही गिरावट आनी शुरू हो गई है। यूआन के अवमूल्यन से जहां चीन का निर्यात सस्ता हो गया लेकिन दूसरी तरफ वहां आयात करना भी महंगा हो चुका है।
कोंडापल्ली बताते हैं, “चीन की आर्थिक मंदी 2016 में भी जारी रहेगी। 2010 में चीन की सकल घरेलू उत्पाद 10.8 फीसदी की दर से बढ़ रही थी। लेकिन मुझे लगता है कि 2016 में इसकी दर 6.5 फीसदी के आसपास रहेगी, क्योंकि बाजार का भरोसा उठ चुका है। अब यूआन अपने असली स्तर पर आ चुका है। अब अगर चीन की सरकार जानबूझकर भी यूआन का अवमूल्यन नहीं करेगी तो भी उसमें गिरावट होती रहेगी। ”
इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज के एसोसिएट फेलो अरविंद येलेरे का कहना है कि चीन की आर्थिक बढ़त इस बात पर भी निर्भर करेगी कि इस साल व्यापार, संचार, साइंस और टेक्नॉलजी में सरकार कितना खर्च करती है। ऐसा अनुमान है कि 2016 की तीसरी तिमाही में चीनी अर्थव्यवस्था में काफी तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले साल 1 दिसंबर को युआन को स्पेशल ड्राइंग राइट्स (एसडीए) बास्केट में शामिल किया था। जिसके बाद यह डॉलर, यूरो, पाउंड और स्टर्लिग के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे महत्वपूर्ण मुद्रा बन गई है।
दक्षिणी चीन सागर में चीन द्वारा अपनी शक्ति प्रदर्शन के कारण दूसरी क्षेत्रीय ताकतों से उसका टकराव बना रहेगा। खासतौर से अमेरिका को चीन की यह बढ़ती ताकत मंजूर नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन वहां मौजूदगी बढ़ाता रहेगा जिससे वहां जटिल भू-राजनीतिक स्थिति बनी रहेगी।
साल 2015 में चीन भारत समेत दूसरे दक्षिण एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों में आगे बढ़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुचर्चित चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रिकार्ड 24 द्विपक्षीय समझौते हुए। साथ ही 22 अरब डॉलर के सौदों पर भी हस्ताक्षर किए गए।
वहीं, पाकिस्तान के साथ भी चीन अपने संबंध को मजबूत कर रहा है। अप्रैल 2015 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस्लामाबाद की यात्रा कर 51 समझौतों पर हस्ताक्षर किए और पाकिस्तान में 45 अरब डॉलर के निवेश का करार किया।
बिजनेस
Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो
नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।
व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।
तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।
व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।
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