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मनोरंजन

फरहान का गीत समानता पर आधारित

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नई दिल्ली| अभिनेता-फिल्मकार फरहान अख्तर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘वी आर आल आन द गुडसाइड’ के साथ तैयार हैं। उन्होंने बताया कि यह गीत समानता पर आधारित है। फरहान और उनकी कंपनी फरौत मीडिया संगीतकार कल्याण बरुआ के सहयोग से एक विशेष गीत ‘वी आर आल आन द गुडसाइड’ बनाया गया है।

फरहान ने  बताया, “इस गीत के जरिए हम समानता की बात कर रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति लिंग, त्वचा के रंग, जाति के बीच बंधे हैं। यह समानता पर आधारित है क्योंकि यह चुनौती के खिलाफ है।”

इस गीत में महिलाओं का समर्थन और समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिकाओं पर प्रकाश डाला गया है। फिल्म ‘वजीर’ के अभिनेता ने कहा कि यह गीत केवल किसी एक व्यक्ति को समर्पित नहीं कर सकते बल्कि यह उनके लिए है जो संघर्ष का हिस्सा हैं। महिला दिवस पर आधारित फरहान का गीत ‘वी आर आल आन द गुडसाइड’ 8 मार्च को रिलीज हुआ।

मनोरंजन

हाईकोर्ट पहुंचे जैकी श्रॉफ, बिना इजाजत ‘भ‍िडू’ बोला तो देना होगा 2 करोड़ जुर्माना

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मुंबई। बॉलीवुड के दिग्गज एक्‍टर जैकी श्रॉफ को आपने अक्सर ‘भ‍िडू’ शब्द का प्रयोग करते सुना होगा। कई बार उनसे मुलाकात के दौरान उनके फैंस भी इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब अगर आपने आगे से ऐसा किया तो आपको 2 करोड़ रु का जुर्माना देना पड़ सकता है। एक्‍टर ने ‘व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा’ के तहत ‘भ‍िडू’ शब्‍द के इस्‍तेमाल पर दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कई संस्‍थानों के ख‍िलाफ केस किया है।

यह मामला उन संगठनों के खिलाफ दायर किया गया है जो जैकी श्रॉफ का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना व्यावसायिक लाभ के लिए कर रहे हैं। उम्मीद है कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुनाएगा ताकि अभिनेता के प्रचार अधिकारों की रक्षा की जा सके। मामले को कल 14 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

यह पहली बार नहीं है कि किसी बॉलीवुड अभिनेता ने गोपनीयता और प्रचार अधिकार के लिए अदालत से मदद मांगी है। इससे पहले दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन ने लोगों को अभिनेता की नकल करने और उनकी सहमति के बिना उनकी आवाज का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

दूसरी ओर पिछले साल अनिल कपूर ने भी अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसके अलावा, इस साल जनवरी में अनिल कपूर ने केस जीत लिया। इसमें उन्होंने ‘झकास’ शब्द वाला तकिया कलाम, अपने नाम, आवाज, बोलने के तरीके, छवि, समानता और हावभाव की सुरक्षा की मांग की थी। उनका कहना था कि इसका प्रयोग न किया जाए।

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