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छोटे बजट की फिल्मों से सेंसर बोर्ड करता है भेदभाव : विकास
नई दिल्ली| ‘बेचारे बीवी के मारे’ के निर्माता विकास राव ने कहा है कि उनकी फिल्म के साथ केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने भेदभाव भरा सलूक किया, क्योंकि यह एक छोटे बजट की फिल्म है। उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म से ‘साला’ शब्द निकालने के लिए कहा गया, जबकि उसी वक्त आर. माधवन की फिल्म ‘साला खड़ूस’ को बिना किसी कांट-छांट के मंजूरी दे दी गई। राव ने कहा कि न्याय के लिए उन्होंने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर किया है। उन्होंने कहा, “नवंबर 2015 में सेंसर प्रमाणपत्र जारी करने से पहले 17 दृश्यों पर आपत्ति की गई, जिसका हमने विधिवत पालन किया। लेकिन हमें उसके बावजूद यू/ए प्रमाणपत्र दिया गया।”
राव ने बताया, “संयोग से मैंने हाल में फिल्म साला खड़ूस देख ली और पाया कि हमारे साथ भेदभाव किया गया है। इसलिए हमें फरवरी 2016 में उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल किया है।” राव एमजी 10 नाम के प्राडक्शन हाउस के प्रमुख है, जिनकी पहली फिल्म ‘बेचारे बीवी के मारे’ हैं। उन्होंने कहा कि बड़े बजट की फिल्म जिसका नाम साला खड़ूस है उसे ‘ए’ प्रमाणपत्र दिया गया, जबकि हमारी फिल्म से इसी शब्द को काटने को कहा गया और हमने फिल्म में 17 कट लगाए। इसके बावजूद हमें यू/ए प्रमाणपत्र जारी किया गया। इस फिल्म को पहले मार्च में रिलीज करने की तैयारी थी, लेकिन विवादों के कारण अब इसे अप्रैल में रिलीज किया जाएगा।
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हाईकोर्ट पहुंचे जैकी श्रॉफ, बिना इजाजत ‘भिडू’ बोला तो देना होगा 2 करोड़ जुर्माना
मुंबई। बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर जैकी श्रॉफ को आपने अक्सर ‘भिडू’ शब्द का प्रयोग करते सुना होगा। कई बार उनसे मुलाकात के दौरान उनके फैंस भी इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब अगर आपने आगे से ऐसा किया तो आपको 2 करोड़ रु का जुर्माना देना पड़ सकता है। एक्टर ने ‘व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा’ के तहत ‘भिडू’ शब्द के इस्तेमाल पर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कई संस्थानों के खिलाफ केस किया है।
यह मामला उन संगठनों के खिलाफ दायर किया गया है जो जैकी श्रॉफ का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना व्यावसायिक लाभ के लिए कर रहे हैं। उम्मीद है कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुनाएगा ताकि अभिनेता के प्रचार अधिकारों की रक्षा की जा सके। मामले को कल 14 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
यह पहली बार नहीं है कि किसी बॉलीवुड अभिनेता ने गोपनीयता और प्रचार अधिकार के लिए अदालत से मदद मांगी है। इससे पहले दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन ने लोगों को अभिनेता की नकल करने और उनकी सहमति के बिना उनकी आवाज का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
दूसरी ओर पिछले साल अनिल कपूर ने भी अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसके अलावा, इस साल जनवरी में अनिल कपूर ने केस जीत लिया। इसमें उन्होंने ‘झकास’ शब्द वाला तकिया कलाम, अपने नाम, आवाज, बोलने के तरीके, छवि, समानता और हावभाव की सुरक्षा की मांग की थी। उनका कहना था कि इसका प्रयोग न किया जाए।
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