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आध्यात्म

भगवान सबसे परे है

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भगवान सबसे परे है, ये इन्द्रियाँ नहीं जा सकती, ब्रह्मा भगवान की नाभि से प्रकट हुए

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ये इन्द्रियाँ नहीं जा सकती, कोई कर्म, धर्म, तपस्‍या, ज्ञान, योग वहाँ तक नहीं ले जा सकता। इन सबसे वो परे है-

इन्द्रियेभ्‍यः परा ह्यर्था अर्थेभ्‍यश्र्च परं मनः।

मनसस्‍तु परा बुद्धिर्बुद्धेरात्‍मा महान् परः।।

‘कठोप. 1-3-10)

महतः परमव्‍यक्‍तमव्‍यक्‍तात् पुरुषः  परः।

पुरुषान्‍न परं किंचित्‍सा काष्‍ठा सा परा गतिः।।

(कठोप. 1-3-10, 1-3-11)

वेदान्‍त भी कहता है-

तदव्‍यक्‍तमाह हि।

(ब्र. सू. 3-2-22)

ऐ! वहाँ बुद्धि मत ले जाना। भागवत भी कहती है-

आस्‍थाय योगं निपुणं समाहितस्‍तं नाध्‍यगच्‍छं  यत आत्‍मसम्‍भवः।।

(भाग. 2-6-34)

अरे छोटे मोटे की बात नहीं करते, जो ब्रह्मा है न ब्रह्मा, वो जब भगवान की नाभि से प्रकट हुआ और कमल के दण्‍ड से। तो उसने कहा कि मैं कहाँ से आया, पता लगाना चाहिये। तो अपनी योग शक्ति से कमल के नाल में घुसा, चला गया, चला गया, हजारों वर्ष, फिर लौट आया। पता ही नहीं चला ये कहाँ तक लम्‍बा है। यानी वो भगवान तक लम्‍बा है, उन्‍हीं की नाभि से तो निकला है, वहाँ तक नहीं जा सका-

संवत्‍सरसहस्रान्‍ते धिया योगविपक्‍वया।

(भाग. 3-6-38)

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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