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आध्यात्म

खुद को जानो

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‘मेरे’ को न जानने का दुष्‍परिणाम, जानने का जो तुम्‍हारे पास साधन है न बुद्धि, उससे नहीं जान सकते

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बस तीन काम किया तुमने, पैदा हुये रोये, जिन्‍दगी भर रोये, मर गये और रोये। फिर माँ के पेट में उलटे टँगे। ये है ‘मेरे’ को न जानने का दुष्‍परिणाम। इसलिये तुम्‍हारा भगवान् है ये बात जानो, वेद ने, शास्‍त्र ने कहा। लेकिन उसी ने ये भी कहा कि तुम, जानने का जो तुम्‍हारे पास साधन है न बुद्धि, उससे नहीं जान सकते-

अपाणिपादो जवनो ग्रहीता पश्‍यत्‍यचक्षुः स श्रृणोत्‍यकर्णः।

स वेत्ति वेद्यं न च तस्‍यास्ति वेत्‍ता तमाहुरग्र् यं पुरुषं महान्‍तम् ।।

(श्‍ वेता. 3-19)

न तत्र चतुर्गच्‍छति न वाग्‍गच्‍छति नो मनः।

(केनो. 1-3)

वहाँ इन्द्रियाँ नहीं जा सकतीं-

’नो मनः’ मन भी नहीं जा सकता वहाँ तक। ‘न वाग्‍गच्‍छति’ वाणी नहीं जा सकती, वहाँ तक-

यतो वाचो निवर्तन्‍ते अप्राप्‍य मनसा सह।

(तैत्तिरीयो. 2-4, 2-9)

ये ब्रह्मोपनिषद् में भी मंत्र है-

यतो वाचो निवर्तन्‍ते अप्राप्‍य मनसा सह।

(ब्रह्मोपनिषद् )

ये शाण्डिल्‍योपनिषद् में भी मंत्र है (2-9), ये शरभोपनिषद् में भी मंत्र है (20वाँ) इन्द्रिय, मन, बुद्धि, जहाँ तक जाते हैं वहाँ तक माया है, वो नहीं है-

न चक्षुषा गृह्यते नापि वाचा नान्‍यैर्देवैस्‍तपसा कर्मणा वा।

(मुण्‍डको. 3-1-8)

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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