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आध्यात्म

एक हजार दिव्य वर्ष में भी ब्रह्मा नहीं पता लगा पाए भगवान का

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एक हजार दिव्‍य वर्ष, योगशक्ति, ब्रह्मा

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एक हजार वर्ष तक योगशक्ति के द्वारा पता लगाने का प्रयत्न किया ब्रह्मा ने। एक हजार दिव्य वर्ष। दिव्य वर्ष क्या होता है? उनका चौबीस घंटा हमारा एक साल। उनकी छः महीने की रात होती है, छः महीने का दिन होता है। यानी तीन लाख, साठ हजार वर्ष का, एक हजार दिव्य वर्ष। बारह सौ वर्ष का (चार लाख बत्तीस हजार वर्ष) कलियुग और चौबीस सौ वर्ष का यानी उसका दुगुना द्वापर, छत्तीस सौ वर्ष का त्रेता, अड़तालीस सौ वर्ष का सतयुग यानी 43,20,000 वर्ष का, हम लोगों के अनुसार चार युग होता है।

बारह हजार दिव्य वर्ष का चार युग होता है और ब्रह्मा का एक दिन- मैंने बताया था एक दिन, चार अरब, उन्‍तीस करोड़, चालीस लाख, अस्‍सी हजार वर्ष हम लोगों का और एक करोड़ बीस लाख दिव्‍य वर्ष देवताओं का। यानी दो करोड़ चालीस लाख, दिव्य वर्ष का ब्रह्मा का एक दिन, चौबीस घंटे होता है। उस हिसाब से ब्रह्मा की उमर सौ वर्ष की है। तीन हजार एक सौ दस खरब और बीस अरब वर्ष का ब्रह्मा का आयु काल है। उसके बाद प्रलय हो जाता है। तो एक हजार वर्ष तक ब्रह्मा ने पता लगाने का प्रयत्न किया, नहीं लगा सका-

नाहं न यूयं यदृतां गतिं विदुर्न वामदेवः किमुतापरे सुराः।

(भाग. 2-6-36)

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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