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कोयला घोटाला : न्यायालय ने पूछा, मनमोहन से पूछताछ क्यों नहीं की?

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नई दिल्ली| कोयला ब्लॉक आवंटन मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने मंगलवार को सीबीआई से सवाल किया कि जांच के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पूछताछ क्यों नहीं की, जिनके पास उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार था। विशेष न्यायाधीश भरत पारासर ने जांच अधिकारी (आईओ) से पूृछा कि क्या प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों और तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ की गई, तो अधिकारी ने कहा कि पीएमओ के कुछ अधिकारियों से पूछताछ की गई, लेकिन तत्कालीन कोयला मंत्री से नहीं।

अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से पूछा कि तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ क्यों नहीं की गई, क्या एजेंसी ने उनसे पूछताछ जरूरी नहीं समझा?

आईओ ने न्यायालय को जवाब दिया कि उसे उनसे पूछताछ जरूरी नहीं लगा। उन्होंने बताया कि एजेंसी को मनमोहन सिंह से पूछताछ की अनुमति नहीं मिली।

न्यायालय ने सीबीआई से मामले की डायरी लाने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 नवंबर की तारीख तय की।

अदालत कोयला ब्लॉक आवंटन मामले की अंतिम रिपोर्ट पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में कुमार मंगलम बिड़ला का नाम भी शामिल है।

इससे पहले की सुनवाई में न्यायालय ने जांच एजेंसी से स्पष्टीकरण मांगे थे कि बिड़ला प्रवर्तित हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक आवंटन में आपराधिक तत्व शामिल थे या नहीं।

मामले की प्राथमिकी में आरोप है कि वर्ष 2005 के दौरान आरोपियों ने मिलकर आपराधिक साजिश रची थी और तत्कालीन लोक सेवकों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए तालाबीरा-द्वितीय और तालाबीरा-तृतीय कोयला ब्लाकों के आवंटन में ओडिशा की कंपनी का अनुचित पक्ष लिया था।

विशेष लोक अभियोजक (एसएसपी) आर.सी. चीमा ने पिछली सुनवाई में न्यायाधीश से कहा था कि न्यायालय 21 अक्टूबर को सौंपी गई सीबीआई की अंतिम रिपोर्ट का संज्ञान ले सकती है, इसमें प्रथम दृष्ट्या आपराधिक तत्वों के शामिल होने का कोई सबूत नहीं है।

सीबीआई ने बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पी.सी. पारेख और अन्य लोगों पर अक्टूबर 2013 में कोयला ब्लॉक आवंटन में आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।

लेकिन सीबीआई ने इस मामले में 28 अगस्त को दायर एक समापन रिपोर्ट में कहा था, “जाचों के दौरान मिले सबूत, प्राथमिकी में नामित व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं करते। “

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कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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