Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

तीन तलाक जैसा नहीं है तलाक-ए-हसन, महिलाओं के पास ‘खुला’ का भी विकल्प: SC

Published

on

Loading

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तलाक-ए-हसन तीन तलाक जैसा नहीं है। इसमें महिलाओं के पास भी ‘खुला’ का विकल्प है। इस प्रथा में हर तीन महीने में तलाक बोला जाता है। कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में हम याचिकाकर्ता से सहमत नहीं हैं। हम नहीं चाहते कि इस मामले में कोई अजेंडा बनाए।

दरअसल, तलाक-ए-हसन के खिलाफ याचिका में कहा गया है कि यह मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण है। जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अगर पति और पत्नी एक साथ नहीं रह सकते, तो संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत तलाक दिया जा सकता है।

पीठ ने कहा कि यह उस तरीके से तीन तलाक नहीं है। याचिकाकर्ता की वकील पिंकी आनंद ने कहा कि वह याची से मामले में निर्देश लेकर आएंगी। कोर्ट ने सुनवाई 29 अगस्त के लिए टाल दी है।

तलाक-ए-हसन के खिलाफ क्‍या दलीलें?

याचिकाकर्ता ने SC में कहा कि तलाक-ए-हसन का प्रावधान मनमाना है। इसके तहत मुस्लिम पुरुष पत्नी को तीन महीने में एक-एक कर तीन बार तलाक बोलता है और फिर तलाक हो जाता है। याची ने कहा कि यह तलाक का प्रावधान मनमाना और गैर संवैधानिक है।

यह अनुच्छेद-14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करता है। यानी यह प्रावधान समानता के अधिकार, जीवन और स्वच्छंदता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है। मुस्लिम महिला ने गुहार लगाई है कि केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह इसके लिए गाइडलाइंस बनाए। इसमें तलाक का आधार एक समान हो और यह स्त्री-पुरुष दोनों के मामले में एकसमान होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या कहा?

गाजियाबाद की महिला की याचिका जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने सुनी। अदालत ने कहा कि अगर पति-पत्‍नी साथ न रहना चाहें तो आपसी सहमति से तलाक दिया जा सकता है। अदालत ने कहा कि महिलाओं के पास ‘खुला’ के जरिए तलाक लेने का विकल्‍प है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह इंस्‍टैंट ट्रिपल तलाक जैसा नहीं है जिसे वह गैरकानूनी घोषित कर चुका है।

क्या है तलाक-ए-हसन?

इस्लामी धार्मिक कानूनों में बिना कोर्ट जाए तलाक को मान्यता दी गई है। मुस्लिम पर्सनल लॉ में तलाक-ए-बिद्दत, तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-हसन का जिक्र है। SC से तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) खारिज हुआ है, जबकि तलाक-ए-अहसन चलन में नहीं है। तलाक-ए-हसन चलन में है।

तलाक-ए-हसन तीन महीने में पूरा होता है। इसके तहत माहवारी के बाद महिला से पुरुष तलाक कहता है, लेकिन इस दौरान दोनों एक साथ रहते हैं और परिवार के बड़े बुजुर्ग दोनों में सुलह कराने की कोशिश करते हैं। इस दौरान एक-एक महीने के अंतराल पर पुरुष तलाक कहता है और तीन महीने तक अगर सुलह न हो पाए, तो तलाक की प्रक्रिया पूरी होती है।

मुस्लिमों के पास तलाक के अब दो तरीके

सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में तलाक-ए-बिद्दत पर रोक लगा दी थी। इस्लामिक पर्सनल लॉ के जानकार डॉ. सैय्यद रिजवान अहमद बताते हैं कि तीन तलाक अब भी जारी है। फर्क यह है कि पहले तलाक चंद सेकंड में हो जाता था, अब उसमें 70 दिन लगते हैं। तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-बिद्दत (इंस्‍टैंट तीन तलाक), इन तीनों में कुछ खास तरह के अंतर हैं।

नेशनल

अफ्रीकन दिखते हैं दक्षिण भारत के लोग… सैम पित्रोदा के बयान पर मचा बवाल, बीजेपी ने बोला हमला

Published

on

Loading

नई दिल्ली। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने पूर्वोत्तर और दक्षिण भारतीय लोगों को लेकर ऐसा बयान दे दिया है जिसपर बवाल मच गया है। सैम पित्रोदा ने कहा कि पूर्वोत्तर में रहने वाले लोग चीन जैसे दिखते हैं और दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकन जैसे। दरअसल, सैम पित्रोदा का एक वीडियो सामने आया है.जिसमें वह कह रहे हैं कि भारत जैसे विविधता वाले देश में सभी एक साथ रहते हैं. वीडियो में उन्हें कहते देखा जा सकता है। वह कहते हैं कि यहां पूर्वी भारत के लोग चीन के लोगों जैसे, पश्चिम भारत में रहने वाले अरब जैसे और दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकी लोगों जैसे दिखते हैं। उन्होंने कहा कि बावजूद इसके फिर भी हम सभी मिल-जुलकर रहते हैं।

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के इस बयान पर बीजेपी की ओर से असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पलटवार किया। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से उनके वीडियो को रीट्वीट करते हुए लिखा, “सैम भाई, मैं नॉर्थ ईस्ट से हूं और भारतीय जैसा दिखता हूं। हम एक विविधतापूर्ण देश हैं-हम अलग दिख सकते हैं लेकिन हम सभी एक हैं। हमारे देश के बारे में थोड़ा तो समझ लो!”

सैम पित्रोदा के कुछ ही दिन पहले दिए गए विरासत टैक्स वाले बयान पर चुनाव के बीच बवाल मचा था वहीं अब एक बार फिर उनके बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। पिछले दिनों सैम पित्रोदा ने भारत में विरासत कर कानून की वकालत की था। धन के पुनर्वितरण की दिशा में नीति की आवश्यकता पर जोर देते हुए, पित्रोदा ने अमेरिका का हवाला दिया था। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने इससे पल्ला झाड़ लिया था और इसे उनका निजी बयान बताया था।

Continue Reading

Trending