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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन ने उन्नत बीदोऊ नौवहन उपग्रह छोड़ा

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बीजिंग| चीन ने अपने स्वदेशी बीदोऊ वैश्विक नौवहन एवं दिशासूचक नेटवर्क के लिए सोमवार को अंतरिक्ष में नई पीढ़ी का एक उपग्रह छोड़ा।  चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन द्वारा निर्मित यह उपग्रह, चीन के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत सिचुआन के शीचांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्ग मार्च-3सी प्रक्षेपण यान के जरिए छोड़ा गया।

यह बीदोऊ नौवहन उपग्रह प्रणाली (बीडीएस) के लिए 17वां उपग्रह है। यह उपग्रह बीडीएस कवरेज को क्षेत्रीय से वैश्विक कवरेज में विस्तारित करने के लिए छोड़ा गया है।

नया उपग्रह एक नए प्रकार के नौवहन संकेत और अंतर-उपग्रह संपर्को का परीक्षण करेगा और वैश्विक नेटवर्क निर्माण की शुरुआत का आधार उपलब्ध कराएगा।

प्रक्षेपण यान पर एक स्वतंत्र यान स्थापित किया गया था। चीन ने मध्यम से उच्च कक्षा में कोई अंतरिक्षयान छोड़ने की इस तरह की प्रौद्योगिकी का पहली बार इस्तेमाल किया है।

यह यान अंतरिक्ष की विभिन्न कक्षाओं में एक या अधिक अंतरिक्षयानों को भेज सकता है। इसे अंतरिक्ष में एक सटल बस कहते हैं।

चीन ने पहला बीडीएस वर्ष 2000 में छोड़ा था। बीडीएस ने दिसंबर, 2012 में चीन और एशिया प्रशांत के आसपास के क्षेत्रों में असैन्य उपभोक्ताओं को दिशा सूचना, नौवहन, समय और संक्षिप्त संदेश सेवा (एसएमएस) उपलब्ध कराना शुरू कर दिया था।

धीरे-धीरे इस प्रणाली का प्रयोग परिवहन, मौसम अनुमान, समुद्र में मछली पकड़ने, वानिकी और दूरसंचार में किया जाने लगा।

नए उपग्रह का विकास चायनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज और शंघाई नगरपालिका प्रशासन द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन, शंघाई इंजीनियरिंग सेंटर फॉर माइक्रोसैटेलाइट्स द्वारा किया गया है।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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